![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/27_11_2020-swami_anantacharya_ji_maharaj1_21107560.jpg)
भागलपुर के चुनिहारी टोला स्थित राधा माधव मंदिर प्रवचन करते स्वामी अनंताचार्य
RGA न्यूज़ भागलपुर बिहार संवाददाता
भागलपुर :- भागलपुर में भागवत कथा का आयोजन किया गया है। सात दिवसीय इस आयोजन में कथा वाचन करने स्वामी अनंताचार्य जी महाराज आए हुए हैं। राधा माधव मंदिर चुनिहारी टोला में वृंदावन के संत अनंत श्री विभूति जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी अनंताचार्य जी महाराज को सुनने काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। मंदिर में सुबह के समय वैदिक रीति से पूजन पाठ किया जाता है। दोपहर बाद भागवत कथा का आयोजन होता है।
चौथे दिन कथा वाचन करते स्वामी अनंताचार्य ने कहा कि हमारे रिषी मुनियों का सिद्धांत लोककल्याण और भागवत प्राप्ति है। आज के कथा में उन्होंने प्रह्लाद के चरित्र प्रसंग की व्याख्या की। समुद्र मंथन का प्रसंग सुनाते हुए स्वामी अनंताचार्य ने कहा समुद्र ही संसार है। समुद्र को ज्ञानरूपी मथानी से मथा जाता है। इससे 14 रत्न निकले हैं। प्रथम विष निकला है। इस आशय है कि कोई भी शुभ कार्य करने के दौरान सबसे पहले बिघ्न—बाधा ही सामने आता है। इस कारण ऐसे लोगों को महादेव की तरह विषपान कर लेनी चाहिए। यहां विषपान का अर्थ है उसे गले में ही रखना। अगर मुंह से बाहर निकालेंगे को विवाद होगा और अगर पेट में चला गया गांठ बन जाएगा। इसलिए समस्याओं के समय धैर्य बनाए रखने की जरूरत है। इसके बाद कामधेनू की उत्पत्ति हुई। जो अमृत देने वाली है। इसका अर्थ है कि अमृत सिर्फ मां या गाय ही दे सकती है। इसलिए समस्त चराचर जीव को गौपालन करनी चाहिए। इसी क्रम में सबसे अंत में लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। अर्थात जीवन को सुखमय बनाने के लिए बिघ्न—बाधा से शुरुआत क्रम अंत में ऐश्वर्य की ओर तक जाता है। मनुष्य को चाहिए कि वे देवतारूपी क्षमाभाव में रहे। दानव रूप क्रोध को जन्म देगा।