भाजपा ने क्रांतिधरा को बनाया है बड़ा केंद्र, अब सूबे की सियासी दिशा तय करेगा मेरठ

Praveen Upadhayay's picture

 RGA न्यूज़ मेरठ संवाददाता

मेरठ:- सूबे की सत्ता की चाबी भले ही लखनऊ में हो, लेकिन राजनीति के पावरहाउस के रूप में दो केंद्र उभरे हैं। भाजपा की नई संगठन रचना के तहत बनारस और मेरठ के हाथों में सूब की सियासी डोर थमाई गई है। 2022 विस चुनावों की तैयारी की मानीटरिंग इन्हीं दोनों केंद्रों से होगी। बीच में लखनऊ पर समन्वय का जिम्मा होगा। प्रदेश सह-संगठन महामंत्री के अधिकार क्षेत्र में पश्चिम एवं ब्रज प्रांत देकर बड़ा संदेश दिया गया है। यहां पर संघ मुख्यालय पहले से है, जहां से आधा उत्तर प्रदेश और पूरे उत्तराखंड पर नजर रखी जाती है। तीन साल पहले यहीं पर संघ का राष्ट्राेदय कार्यक्रम हुआ था, जिसमें तीन लाख से ज्यादा लोग एक साथ परेड में नजर आए थे।

मेरठ में की थी पहली रैली

2014 का चुनाव भाजपा के लिए सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ। पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी की पहली रैली मेरठ में कराया, और सियासी लहर पूरे देश में पहुंची। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों ने न सिर्फ वेस्ट की, बल्कि सूबे की सियासत बदलकर रख दिया। ध्रुवीकरण की आंच पर सभी पुराने राजनीतिक समीकरण पिघल गए। इसका सबसे ज्यादा भाजपा को हुआ, और वेस्ट की सभी 14 लाेकसभा सीटों पर पार्टी जीत गई। इसके बाद 2017 विस चुनावों का भी शंखनाद पार्टी ने मेरठ-सहारनपुर से किया, और रिकार्ड सीटों पर जीत मिली। बाद में मेरठ में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, सीएम योगी समेत सभी दिग्गज पहुंचे। इस बहाने पार्टी ने मेरठ को वेस्ट यूपी की राजनीति का पावरहाउस बना दिया। पार्टी मुख्यालय गाजियाबाद था, लेकिन मेरठ के अश्वनी त्यागी को क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया गया। महिला मोर्चा, ओबीसी मोर्चा की कमान भी मेरठ के हाथ रही। बाद में क्षेत्रीय मुख्यलय भी मेरठ में बना दिया गया, जहां से संभल-मुरादाबाद से लेकर सहारनपुर तक का सियासी तानाबाना संभाला जा रहा। हाल में पार्टी ने कर्मवीर को संघ से भाजपा में भेजते हुए मेरठ में रहकर पश्चिम व ब्रज क्षेत्र का जिम्मा सौंपा है, जिसे पार्टी में बड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है। उनकी नियुक्ति के बाद जाटों की राजनीति में अलग चर्चा है। माना जा रहा है कि अब जाट राजनीति के नए चैप्टर खुल सकते हैं। क्षेत्रीय अध्यक्ष् मोहित बेनीवाल के लिए समन्वय बनाते हुए लोगों को साधना कड़ी चुनौती होगी। वेस्ट यूपी की राजनीति में जाट-गुर्जर राजनीति के बीच हमेशा होड़ रही है, जिसका संतुलन पार्टी को साधना होगा। 

News Category: 
Place: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.