यूपी सचिवालय के कोआपरेटिव बैंक का ताला खुला, रिजर्व बैंक ने दो साल पहले लगाई गई थी रोक

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सचिवालय के पांच हजार खाताधारकों को म‍िलेगी राहत

RGA न्यूज़ लखनऊ उत्तर प्रदेश

लखनऊ:- सचिवालय के कोआपरेटिव बैंक पर दो साल से लगा भारतीय रिजर्व बैंक का ताला अब खुल गया है। इस बैंक में अपनी जमापूंजी रखने वाले सचिवालय में कार्यरत और सेवानिवृत पांच हजार खाताधारकों के लिए यह खासी राहत की बात है। उनकी रकम दो साल से अटक गई थी, लेकिन अब वे जितनी भी चाहें रकम निकाल या जमा कर सकते हैं।

हालांकि रिजर्व बैंक ने यह प्रतिबंध कुछ शर्तों के साथ ही हटाया है। वित्तीय अनियमितताओं के कारण दो साल पहले रिजर्व बैंक ने सचिवालय के कोआपरेटिव बैंक के लेनदेन पर पूरी तरह रोक लगाते हुए ताला लगवा दिया था। अब रिजर्व बैंक ने बैंक खोलने और लेनदेन की तो अनुमति दी है, लेकिन लोन न देने सहित कुछ शर्तें भी लगाई हैं। कोआपरेटिव बैंक के बोर्ड को छह हफ्ते में प्रगति के लिए एक्शन प्लान देने के निर्देश भी दिए गए हैं।

यूपी सिविल सेक्रेटेरिएट को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड पर बीती 19 सितंबर, 2018 को रोक लगाई गई थी। उस समय बैंक में मनमाने ढंग से लोन बांटने और खर्च करने की शिकायतों के बाद यह रोक लगाई गई थी। वहीं इस वर्ष बीती 18 सितंबर को खाताधारकों के हितों को देखते हुए सिर्फ एक हजार रुपये तक की रकम उन्हें निकालने की छूट दी गई थी। अब आरबीआइ के मुख्य महाप्रबंधक नीरज निगम की ओर से बैंक के सचिव को पत्र लिखकर बैंक के बोर्ड के माध्यम से छह हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है

फिलहाल कोआपरेटिव बैंक न तो लोन दे सकेगा और न ही लाभांश वितरित कर सकेगा। रकम खर्च करने के लिए भी बैंक को आरबीआइ से अनुमति लेनी होगी। जमा राशि पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित दर से अधिक ब्याज नहीं दिया जा सकेगा। उप्र सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्रा ने आरबीआइ के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि कई खाताधारक रिटायर होने के बाद अपनी जमा रकम पाने के लिए परेशान थे।  

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