UP: मेरठ में पांच लोगों के कत्‍ल में उठ रहे कई सवाल, कहीं किसी और ने तो नहीं दिया घटना को अंजाम

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RGA न्यूज़

मेरठ में पांच कत्‍ल की गुत्‍थी सुलझाने में पु‍लिस लगी हुई है।

मेरठ पत्नी, दो बेटे और एक बेटी का कत्ल करते समय क्या रईस के हाथ हीं कांपे। हर किसी के जहन में एक सवाल और भी आ रहा था कि रईस अकेला चार लोगों की हत्या कैसे कर सकता था। अंदाजा यह भी लगाया जा रहा है कि कहीं दीवार फांदकर तो किसी अन्य ने हत्याकांड को अंजाम नहीं दिया है। हालांकि फोरेंसिंक टीम ने घटना स्थल से फिंगर प्रिंट जुटाए हैं। साथ ही तीनों दुपट्टों को भी कब्जे में ले लिया है। हालांकि सुसाइड नोट मिलने के बाद पुलिस इसे रईस द्वारा किया गया कृत्य ही मानकर चल रही है।

रईस के परिवार की मौत पर हर कोई खामोश

मोहल्ला कस्यावान में रईस के पूरे परिवार की मौत के बाद लोगों की बड़ी संख्या में भीड़ जमा थी, लेकिन हर कोई खामोश था। पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर हर कोई दंपती से अनभिज्ञता जाहिर कर रहा था। इक्का-दुक्का पड़ोसियों ने ही पूरी कहानी पुलिस को बयां की। हालांकि पुलिस ने रईस के परिवार के सदस्यों को फोन कर कुछ जानकारी हासिल की है। आस-पड़ोस के लोगों का कहना था कि दंपती में अक्सर झगड़ा रहता था। इसके अलावा कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं था।

एक साथ उठे पांच शव तो छलक पड़ीं लोगों की आंखें

रईस के घर से बारी बारी से पुलिस शवों को उठाकर ले जा रही थी। तब वहां मौजूद लोगों की आंखों से आंसू छलक रहे थे। हर किसी का कहना था कि रईस ने ऐसा क्यों कर दिया। बच्चों के पालन पोषण के कारण तो उसने कार ड्राइविंग के साथ-साथ वैलिंडग की दुकान पर भी मजदूरी करना शुरू कर दिया था।

ऐसे हालात में मानिसक और सामजिक सहारे की जरूरत

मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. राशि अग्रवाल ने बताया कि अगर परिवार में तनाव की कोई स्थिति बनती है तो उसे दूर करने के लिए मानिसक एवं सामाजिक सहारे की जरूरत होती है। सहारा देने वाले परिवार के सदस्य, दोस्त और पड़ोसी भी हो सकते हैं। तनाव के लक्षणों को पहचान कर कोई भी प्राथमिक उपचार दे सकता है। इसके लिए जरूरी है कि अचानक से व्यवहार में आए बदलाव को पहचानें और इसे गंभीरता से लें।

क्योंकि जिंदगी के कुछ गलत फैसले पूरी जिंदगी का रुख मोड़ देते हैं। कई बार दिमाग के रसायन में गड़बड़ आ जाने से इंसान की सोचने-समझने की शक्ति पर इसका असर हो जाता है। रोज के पारिवारिक विवाद उस तनाव को और बढ़ा देते हैं। कोई सही रास्ता न दिखने पर फिर व्यक्ति ऐसे गंभीर अपराध कर बैठता है। सही समय पर इलाज से दिमाग में होने वाले ऐसे बदलाव को संभाला जा सकता है। तनाव को बढ़ने न दें, समय रहते ही इलाज कराएं। 

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