सर्दियों में क्यों छा जाती है कोहरे की चादर

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RGA न्यूज़ बरेली समाचार अमित मिश्रा

शीत ऋतु आते ही पूरे उत्तरी भारत में कोहरे की घनी चादर फैल जाती है। दिन ढलते ही कोहरा पड़ना शुरू हो जाता है और सुबह दस बजे तक चारों ओर घना कोहरा छाया रहता है।
कोहरे को बनाने में वायु में मौजूद जलवाष्प की मात्रा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वायु को जलवाष्प की प्राप्ति सागरों, नदियों, तालाबों, झीलों तथा पेड़-पौधों से होती है। प्रतिदिन इन सब में मौजूद जल सूर्य की किरणों से भाप में बदलता रहता है। इस भाप को ही जलवाष्प कहते हैं। यह जलवाष्प वायु में आर्द्रता उत्पन्न करती है। वायु में आर्द्रता जितनी अधिक होगी कोहरा उतना ही घना होगा। आम बोलचाल की भाषा में वायु की आर्द्रता का आशय वायु में मौजूद नमी की मात्रा से है।
जिस ताप पर वायु संतृप्त हो जाती है उस दशा को वायु का ओसांक बिन्दु कहते हैं। जब वाष्प की मात्रा और अधिक हो जाती है तो जलवाष्प जल-कणों और तुषार कणों में परिवर्तित होने लगती है। इस क्रिया को घनीभवन कहते हैं। घनीभवन की प्रक्रिया के परिणामस्वरुप ही ओस, पाला, स्माॅग और कोहरा बनता है।
जब वायु में जलवाष्प की मात्रा अपनी अन्तिम अवस्था में पहुंच जाती है तो यहीं से कोहरा बनने की प्रक्रिया आरम्भ होती है। रात्रि का तापमान गिरने पर वायु में विद्यमान जलवाष्प घनी होने लगती है। घनीभवन की प्रक्रिया के फलस्वरुप वायु में मौजूद जलवाष्प जल की छोटी-छोटी बूंदों में बदलने लगती है। जल की यह छोटी-छोटी बूंदें वायुमण्डल में मौजूद धूलकणों पर टिक जाती हैं। जिससे वातावरण धुंधला प्रतीत होने लगता है। जब यह बूंदें अधिक घनी हो जाती हैं तो उसे कोहरा कहते हैं। कुहरे में जल की बूंदें इतनी घनी होती हैं कि आस-पास की वस्तुएं भी दिखाई नहीं देती हैं।
इस समय दिसम्बर का द्वितीय सप्ताह चल रहा है और सुबह-शाम कोहरा पड़ना शुरू हो गया है। कोहरा अधिक घना होने पर दृश्यता शून्य तक पहुंच जाती है। हमें अपने आस-पास की वस्तुएं तक दिखाई नहीं देती हैं। ऐसा लगता है कि मानो सामने कोहरे की दीवार खड़ी हो गई हो।
कोहरा जनजीवन को बहुत प्रभावित करता है। इससे सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगती है। वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ जाती है और शाम अथवा सुबह के समय यात्रा करना खतरे से निरापद नहीं  रहता है। टेªनें कई-कई घन्टे बिलम्ब से पहुंचती हैं और कभी-कभी तो कई टेªनों को रद्द करना पड़ता है। रोजमर्रा के कामों पर भी कोहरे का प्रत्यक्ष प्रभाव देखने को मिलता है। बच्चों और शिक्षकों को स्कूल जाने तथा कर्मचारियों को अपने आफिस जाने में भी भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। बाजार देर से खुलता है और जल्दी बन्द हो जाता है।

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