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हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) प्रबंधन इस मामले में 14 जून को हाइकोर्ट में अनुपूरक जवाब दायर करेगा।...
RGA न्यूज शिमला
शिमला: जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 100 करोड़ से अधिक की लागत से खरीदी गई 325 बसें जंग खा रही हैं। करीब आठ महीने से ये बसें सड़कों किनारे खड़ी हैं। सरकार इन बसों को चला नहीं पाई है। अब हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) प्रबंधन इस मामले में 14 जून को हाइकोर्ट में अनुपूरक जवाब दायर करेगा। निजी बस ऑपरेटरों ने इन बसों को सड़कों पर दौड़ाने के फैसले को चुनौती दी थी। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी।
जयराम सरकार को सत्ता में आए छह महीने पूरे होने वाले हैं पर अभी तक इन बसों का पेंच नहीं सुलझा है। असल में पूर्व सरकार ने केंद्र के माध्यम से बसों की खरीद तो कर ली पर इसके लिए रूट नोटिफाई नहीं किए। समझौता प्रपत्र (एमओयू) की शर्तो के मुताबिक ये बसें केवल शहरों के कलस्टरों में ही चलनी थीं। हिमाचल में बिना रूट के ही ये बसें ग्रामीण क्षेत्रों में भी चलाई गई लेकिन चंद समय के बाद सड़कों किनारे खड़ी करनी पड़ी थीं। मामला कोर्ट तक पहुंचा जो अभी तक चल रहा है।
रोजाना लाखों का नुकसान
खड़ी बसों से एचआरटीसी को रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है।परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने बसों की खरीद को लेकर पूर्व कांग्रेस सरकार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस राज में फिजूलखर्ची को बढ़ावा दिया गया। उन्होंने तत्कालीन परिवहन मंत्री जीएस बाली की कार्यप्रणाली पर भी निशाने साधे थे लेकिन खुद इस मामले का समाधान नहीं कर पाए हैं।
कंडक्टर मिले, रूट नहीं
प्रदेश सरकार ने हाल ही में कंडक्टरों की 1235 पदों पर भर्ती पूरी की। इनकी ज्वाइनिंग जल्द हो जाएगी। इस तरह कंडक्टर तो मिल गए लेकिन 325 बसों के रूटों का मार्ग प्रशस्त होना अभी मुश्किल नजर आ रहा है।
बंद नहीं हुए रूट
हमारे कोई रूट बंद नहीं हुए हैं। खड़ी बसों से कितना नुकसान पहुंचा, इस संबंध में कहना मुश्किल है।
पंकज सिंगला, डीएम (टै्रफिक) एचआरटीसी