छत्रपति संभाजी नगर: औरंगाबाद नामांतरण के मुद्दे पर शिवसेना-कांग्रेस में टकराव बढ़ा

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RGA न्यूज़

औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर रखने के मुद्दे पर बढ़ा टकराव।

औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर रखने के मुद्दे पर कांग्रेस और शिवसेना में टकराव बढ़ता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस को मुख्यमंत्री कार्यालय का एकतरफा निर्णय रास नहीं आया। इस मुद्दे पर कांग्रेस एवं शिवसेना के बीच विवाद भविष्य में और गहरा सकता है।

मुंबई। औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर रखने के मुद्दे पर कांग्रेस और शिवसेना में टकराव बढ़ता दिखाई दे रहा है। बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक ट्वीट में औरंगाबाद का उल्लेख संभाजी नगर के रूप में किए जाने के बाद महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहब थोरात ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर नसीहत दे डाली कि नाम बदलना सरकार का एजेंडा नहीं है। सरकार का कामकाज न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अनुसार ही चलना चाहिए।

मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णयों की दी जानकारी

आज यह विवाद मंत्रिमंडल की साप्ताहिक बैठक के बाद चालू हुआ। मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णयों पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर सभी निर्णयों की जानकारी सार्वजनिक की। इनमें एक निर्णय औरंगाबाद से संबंधित भी था। मराठी में जारी इस ट्वीट में लिखा गया कि, मंत्रिमंडल की बैठक में संभाजी नगर (औरंगाबाद) के सरकारी अस्पताल एवं मेडिकल कालेज में 165 बिस्तर बढ़ाने एवं 365 नए पद सृजित करने का निर्णय लिया गया है। ट्वीटर में यह संदेश जिस पोस्टर पर लिखा गया है, उस पोस्टर में सबसे ऊपर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एवं राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात के चित्र लगाए गए हैं। इसके अलावा एक बड़ा चित्र आरोग्य शिक्षा मंत्री अमित देशमुख का भी लगाया गया है। अमित देशमुख राज्य सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री हैं।

थोरात ने कहा- सूचना महानिदेशालय का काम नाम बदलना नहीं है

यह ट्वीट जारी होने के तुरंत बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्य सरकार में नंबर तीन के मंत्री बालासाहब थोरात ने लगातार तीन ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय को नसीहत दे डाली। उन्होंने लिखा कि सूचना महानिदेशालय का काम नाम बदलना नहीं है। सरकार का कामकाज दस्तावेजों के आधार पर ही चलना चाहिए।

थोरात ने कहा- शहरों के नाम बदलना महाविकास आघाड़ी सरकार का एजेंडा नहीं है

उन्होंने आगे लिखा कि शहरों के नाम बदलना उस महाविकास आघाड़ी सरकार का एजेंडा नहीं है, जो न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर चल रही है। छत्रपति संभाजी महाराज का हम भी सम्मान करते हैं। उनके नाम पर हमें राजनीति नहीं करनी चाहिए। हमें औरंगाबाद के विकास के लिए काम करना चाहिए। बता दें कि सूचना महानिदेशालय फिलहाल मुख्यमंत्री के ही अधीन काम कर रहा है, और इस विभाग की राज्यमंत्री राकांपा कोटे की अदिति ठाकरे हैं।

छत्रपति संभाजी छत्रपति शिवाजी के पुत्र हैं

बता दें कि छत्रपति संभाजी महाराज महाराष्ट्र में देवतुल्य माने जानेवाले महापुरुष छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र हैं। मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा उनकी निर्मम हत्या के बाद औरंगाबाद का नामकरण हुआ था। शिवसेना लंबे समय से इस नाम को बदलने का प्रयास करती आ रही है। पिछले कई दिनों से इस मुद्दे पर विवाद भी चल रहा है। इसी प्रयास के तहत आज सरकारी संवाद में भी संभाजी नगर लिखा गया, लेकिन कांग्रेस को मुख्यमंत्री कार्यालय का यह एकतरफा निर्णय रास नहीं आया। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस एवं शिवसेना के बीच विवाद भविष्य में और गहरा सकता है।

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