खुद का तरोताजा रखने के लिए भी रक्तदान जरूरी

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RGANews

मौका दीजिए अपने खून को किसी की रगों में बहने का, यह लाजवाब तरीका है कई जिस्मों में जिंदा रहने का’। शायद इसी लिए रक्तदान को महादान कहा जाता है। बृहस्पतिवार को विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर जिला संयुक्त चिकित्सालय के सहयोग से रक्तदान शिविर लगाया गया। इसमें बड़ी संख्या में राजनैतिक, सामाजिक और व्यापारिक संगठनों, क्लबों से जुड़े लोगों के अलावा सरकारी कर्मचारी रक्तदान करने पहुंचेंगे। आप भी शिविर में आकर रक्तदान कर सकते हैं।

जिला अस्पताल की ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. यूवी सिंह के मुताबिक, रक्तदान करने वाला व्यक्ति तमाम गंभीर बीमारियों से बचा रहता है। एक यूनिट रक्त से चार मरीजों को फायदा होता है। रक्तदान करने वाले लोग हर साल सैकड़ों लोगों को जीवनदान देते हैं। अमर उजाला रक्तदान दिवस के मौके पर आपको रक्तदान के फायदे, मिथक और अन्य जानकारियों से अवगत करा रहा है, ताकि आप रक्तदान से घबराने के बजाय इस पावन कार्य के लिए हमेशा तत्पर रहें।

रक्तदान के फायदे
आयरन लेवल ठीक रहता है।
हार्ट एजिंग, स्ट्रोक, अटैक से बचाव होता है।
आयरन मेटाबॉलिज्म सही रहने से लिवर स्वस्थ रहता है।
लिवर टिश्यू का ऑक्सीडेशन होने से कैंसर का खतरा कम होता है।
रक्तदान से कैलोरी घटती है, इससे मोटापा कम होता है।
रक्तदाता की खून संबंधी कई जांचें मुफ्त हो जाती हैं।

यह भी जानें
मिथक हकीकत
एड्स का खतरा रक्तदान में हर बार स्टरलाइज्ड सिरिंज का प्रयोग होता है। लिहाजा इससे कोई खतरा नहीं।
शुगर पेशेंट हैं शुगर पेशेंट जो इंसुलिन का प्रयोग नहीं करते हैं लेकिन ओरल मेडिसिन लेते हैं, वे ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
खून की कमी रक्तदान से खून की कमी नहीं होती। 21 दिन में ब्लड फिर बन जाता है।
महिला हैं एनीमिया से पीड़ित नहीं है तो कोई भी स्वस्थ महिला रक्तदान कर सकती है।
बीमारी का डर रक्तदान के बाद मामूली कमजोरी महसूस हो सकता है लेकिन इससे कोई बीमारी नहीं होती।

डॉक्टरों की राय
शरीर में कुल वजन का सात प्रतिशत हिस्सा खून का होता है।
करीब 25 प्रतिशत लोगों को जीवन में खून की जरूरत पड़ती ही है।
ब्लड डोनेशन के बाद महज 24 घंटे में ही वॉल्यूम बन जाता है।
रक्तदान के 21 दिन के भीतर फिर एक यूनिट ब्लड बन जाता है।
18 से 59 वर्ष तक के व्यक्ति एक वर्ष में तीन बार रक्तदान कर सकते हैं।

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