एनएचएआई की सुस्त पैरवी से कांट्रेक्टर को मिला अभयदान

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RGANews

नेशनल हाईवे-24 पर बरेली-सीतापुर के बीच फोरलेन प्रोजेक्ट में कांट्रेक्ट कंपनी इरा इंफ्रास्ट्रक्चर ने भले ही रिकार्ड तोड़ लापरवाही की हो लेकिन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के अफसरों ने केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने संस्था के खिलाफ कार्रवाई के लिए ठीक से पैरवी ही नहीं की। लिहाजा कंपनी को फिर अभयदान मिल गया है। अब लखनऊ-दिल्ली हाईवे के इस महत्वपूर्ण हिस्से में फोरलेन का काम पूरा कराने की असल परीक्षा एनएचएआई के अफसरों की है।

नेशनल हाईवे-24 पर बरेली-सीतापुर के बीच फोरलेन का काम लंबे वक्त से अटका है। कार्यदायी संस्था इरा इंफ्रास्ट्रक्चर का रिकार्ड बेहद खराब हो चुका है। इस पर चर्चा के लिए केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 11 जून को एनएचएआई के अफसरों की गोवा में मीटिंग बुलाई थी। एनएचएआई के अफसरों को फोरलेन के इस महत्वपूर्ण काम में ढिलाई बरत रही कंपनी का टर्मिनेट करने की पैरवी करनी थी, लेकिन अफसरों की ढिलाई से संस्था को फिर अभयदान मिल गया है। बहरहाल, अब काम पूरा कराने की असल परीक्षा एनएचएआई के अफसरों की है।

यह है प्रोजेक्ट
एनएचएआई ने वर्ष 2010 में बरेली-सीतापुर के बीच 157 किमी फोरलेन का काम शुरू कराया था। 2700 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था इरा इंफ्रास्ट्रक्चर को सौंपी गई। करार के तहत कंपनी को हाईवे के निर्माण के लिए खुद ही फंड का इंतजाम करना है। संस्था ने विभिन्न बैंकों से 1450 करोड़ का लोन ले लिया लेकिन उसे अदा नहीं किया। लिहाजा बैंकों ने और लोन देने से हाथ खड़े कर दिए। इससे फोरलेन का काम ठप हो गया। एनएचएआई के अफसरों की लापरवाही से कांट्रेक्टर से काम नहीं वापस लिया जा सका है।

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