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आम, केले और पपीते जैसे फलों को पकाने में जिस कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग किया जा रहा है।...
RGA न्यूज बरेली : आम, केले और पपीते जैसे फलों को पकाने में जिस कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग किया जा रहा है, वह धीमा जहर है और लंबे समय तक इसका सेवन कैंसर जैसे कई रोगों का कारण है। विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा मात्रा में कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए फलों के सेवन से मौत भी हो सकती है लेकिन इसके बाद भी शहर में मंडी समेत कई स्थानों पर फलों को खुलेआम कैल्शियम कार्बाइड से पकाया जा रहा है और 95 फीसद से ज्यादा आम, केले और पपीता इसी से पकाकर बाजार में बेचा जा रहा है। इसे खाकर लोग बीमारी को आमंत्रण दे रहे हैं।
घातक चाइनीज पाउडर से पकाए जा रहे फल, खतरे में सेहत
डेलापीर मंडी में हजारों पेटियों के ढेर लगे दिखते हैं, जिनमें रखे फलों को पकाने के लिए अंदर कैल्शियम कार्बाइड डाला हुआ है। मंडी के मेन गेट से घुसते ही कार्बाइड गैस की बदबू उठती है
शुक्रवार को दोपहर डेलापीर मंडी में एक स्थान पर मलीहाबाद से आया आम बड़े ट्रक से पेटियों में भरा जा रहा था। इसे भर रहे मजदूर पेटियों में पैकेट से निकालकर कार्बाइड की पुड़िया भी डालते जा रहे थे। एक मजदूर ने बताया कि इस कार्बाइड के उपयोग से महज दो दिन में यह आम पक जाता है। उसने बताया कि मंडी में कुछ आढ़ती तो एक पेटी में तीन से चार पुड़िया भी डलवाते हैं, जिन्हें बहुत जल्द आम पकाने होते हैं। एक पल्लेदार का कहना था कि जब मार्केट में फलों की मांग बढ़ जाती है तो जल्दी से जल्दी केले, आम और पपीतों को पकाने के लिए आढ़ती ज्यादा पुड़िया का इस्तेमाल कराते हैं। ऐसा खासतौर पर रमजान और नवरात्र के दिनों में होता है, जब लोग व्रत और रोजे रखते हैं।
शयामगंज से डेलापीर और नकटिया तक फैला है जहरीला कारोबार
-कार्बाइड का खोल बनाकर उसमें डाल पकाए जाते हैं
शहर में फलों का कारोबार हर दिन लाखों में है इसलिए आम, केले और पपीते को जल्द से जल्द पकाने के लिए श्यामगंज, डेलापीर और नकटिया में ही बड़े स्तर पर काम होता है। इसके लिए बाजार में कैल्शियम कार्बाइड की पुड़िया डेढ़ रुपये से लेकर तीन रुपये में सहज उपलब्ध हो जाती हैं। अधिकतर आढ़ती पुड़िया से पावडर लेकर पेटियों में डाल फलों को पकाते हैं। जानकार बताते हैं कि श्यामगंज और नकटिया में तो कार्बाइड के पावडर को पानी में घोल बनाकर उसमें केले डाल दिए जाते हैं, जो जल्द पक जाते हैं। धोने के बाद भी उन केलों के छिलके पर पावडर का सफेद रंग जमा दिखता है। इससे पकाये गए फल चौपुला, डेलापीर, श्यामगंज, कुतुबखाना, सिटी मंडियों में बेचे जाते हैं।