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ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष नवमी को महेश नवमी का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व देवाधिदेव भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना को समर्पित है। माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति भगवान शिव के वरदान स्वरूप मानी गई है। महेश नवमी, माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति का दिन माना जाता है।
मान्यता के अनुसार माहेश्वरी समाज के पूर्वज पूर्वकाल में क्षत्रिय वंश के थे। शिकार के दौरान वह ऋषियों के श्राप से ग्रसित हुए। महेश नवमी के दिन भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया। साथ ही इस समाज को अपना नाम भी दिया। इसलिए यह समुदाय माहेश्वरी नाम से प्रसिद्ध हुआ। माहेश्वरी समाज के लिए यह दिन बहुत धार्मिक महत्व का है। भगवान शिव की आज्ञा से ही इस समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर व्यापारिक कार्य को अपनाया। महेश नवमी उत्सव यही संदेश देता है कि मानव को हर प्रकार की हिंसा का त्याग कर जगत कल्याण और परोपकार का कर्म करना चाहिए।