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RGAन्यूज़
ग्यारह सीढ़ी के संरक्षण को टेंडर किया गया है।
कुएं के ऊपर लगाया जाएगा लोहे का जाल। फर्श के साथ पाथवे का किया जाएगा सुधार। हुमायूं के राज्याभिषेक के अवसर पर वर्ष 1530 में कछपुरा में मस्जिद बनवाई गई थी। इसे हुमायूं की मस्जिद के नाम से जाना जाता है!
आगरा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) अब उपेक्षित स्मारकों की सुध भी ले रहा है। मुगल शहंशाह हुमायूं की वैधशाला का भाग रहे ग्यारह सीढ़ी की दशा सुधारी जाएगी। एएसआइ यहां संरक्षण कार्य करने जा रहा है। यहां कुएं पर जाल लगाने के साथ ही फर्श और पाथवे को सुधारा जाएगा।
मुगलों ने आगरा आने के बाद यमुना पार के क्षेत्र को अपने निवास स्थान के रूप में चुना था। उन्होंने यहां कई बाग लगवाए थे। हुमायूं के राज्याभिषेक के अवसर पर वर्ष 1530 में कछपुरा में मस्जिद बनवाई गई थी। इसे हुमायूं की मस्जिद के नाम से जाना जाता है। यहां लगे शिलालेख के अनुसार हुमायूं ने यहां अपनी वैधशाला बनाई थी। यमुना किनारे पर एक ही पत्थर की बनी ग्यारह सीढ़ी और उसके नजदीक बना विशाल कुआं उस वैधशाला के ही अवशेष हैं। यह एएसआइ द्वारा संरक्षित हैं। एएसआइ अब यहां संरक्षण कार्य शुरू कराने जा रहा है। यहां कुएं के ऊपर लोहे का जाल लगाकर उसे बंद कर दिया जाएगा। चारों ओर दीवारों पर लोहे के एंगिल लगाकर फेंसिंग की जाएगी, जिससे कि असामाजिक तत्व यहां प्रवेश नहीं कर सकें। इसके साथ ही यहां खराब हो चुके फर्श और पाथवे को भी सुधारा जाएगा। अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि ग्यारह सीढ़ी के संरक्षण को टेंडर किया गया है। संरक्षण कार्य पर करीब 14.46 लाख रुपये व्यय हाेंगे।
ताजमहल और किले का आकर्षक व्यू
ग्यारह सीढ़ी से ताजमहल और आगरा किला का आकर्षक व्यू नजर आता है। यह स्मारक एएसआइ द्वारा संरक्षित है, लेकिन इसमें प्रवेश शुल्क लागू नहीं