![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/26_02_2021-mgnrega-_jharkhand_1_21407160.jpg)
RGAन्यूज़
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजी-रोजगार की आवश्यकता
MNREGA wages झारखंड की हेमंत सरकार ने मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की है। अब 194 रुपये के स्थान पर प्रतिदिन 225 रुपये का भुगतान किया जाएगा। यह पड़ोसी राज्य बिहार में 194 और पश्चिम बंगाल के 204 रुपये से ज्यादा है।
धनबाद। झारखंड सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (MNREGA) के तहत राज्य में काम करने वाले मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी बढ़ा दी है। मनरेगा में 194 रुपये के स्थान पर 225 रुपये न्यूनतम मजदूरी कर दी गई है। यह निर्णय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इसका फायदा झारखंड में सक्रिय 42 लाख मजदूरों को मिलेगा। लेकिन मनरेगा मजदूरों को मजदूरी न्यूनतम मजदूरी भुगतान के मामले में अब भी बहुत पीछे है। देश में सबसे ज्यादा भाजपा शासित हरियाणा राज्य में मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिलती है। यहां 309 रुपये की दर से भुगतान किया जाता है।
झारखंड में एक नजर में मनरेगा
- टोटल मजदूर-105.38 लाख
- एक्टिव मजदूर-42.23 लाख
- टोटल जाब कार्ड-63.97 लाख
- टोटल एक्टिव जाब कार्ड-32.47 लाख
- न्यूनतम मजदूर-194 रुपये ( पहले)
देश में मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी एक समान नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने के लिए केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने काम के बदले आनाज योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत गांव में होने वाले काम में स्थानीय मजदूरों को समाहित किया जाता था और उन्हें मजदूरी के बदल अनाज दिया जाता था। 2 अक्टूबर, 2005 में केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत मनरेगा शुरू की। लेकिन केंद्रीय योजना होने के बाद भी इसके तहत काम करने वाले मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी एक समान नहीं है। देश के प्रत्येक राज्यों में अलग-अलग न्यूनतम मजदूरी दी जाती है। आइए, टेबल के माध्यम से समझते हैं कि इस समय ( वर्ष 2020-21) किस राज्य में कितनी न्यूनतम मजदूरी दी जा रही है।
राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र के नाम -प्रतिदिन मजदूरी की दर रुपये में
- झारखंड-194 ( अब 225 रुपये करने का निर्णय)
- आंध्र प्रदेश- 237
- अरुणाचल प्रदेश-205
- असम-213
- बिहार-194
- छत्तीसगढ़-190
- गोवा- 280
- गुजरात-224
- हरियाणा-309
- हिमाचल प्रदेश-गैर अनुसूचित क्षेत्र 198 और अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र 248
- जम्मू और कश्मीर-204
- लद्दाख-204
- कर्नाटक-275
- केरल-291
- मध्य प्रदेश-190
- महाराष्ट्र-238
- मणिपुर-238
- मेघालय-203
- मिजोरम-225
- नागालैंड-205
- उड़ीसा-207
- पंजाब-263
- राजस्थान-220
- सिक्किम-205
- तमिलनाडु-259
- तेलंगाना-237
- त्रिपुरा-205
- उत्तर प्रदेश-201
- उत्तराखंड-201
- पश्चिम बंगाल-204
- अंडमान और निकोबार-267
- दादरा और नगर हवेली-258
- दमन और दीव- 227
- लक्ष्यदीप-266
- पांडुचेरी-256
सरकार के फैसले से बढ़ेगा मनरेगा के प्रति आकर्षण
भारत ज्ञान-विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव व मनरेगा सह रोजी-रोजगार विशेषज्ञ डॉ. काशीनाथ चटर्जी ने झारखंड सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है-महंगाई के इस जमाने में 31 रुपये की वृद्धि कुछ नहीं है। लेकिन कुछ तो वृद्धि हुई। इसलिए फैसला स्वागत योग्य है। अब 194 के साथ पर मनरेगा में काम करने वालों को प्रतिदिन 225 रुपये का भुगतान होगा। इससे झारखंड के गांव-देहात में मनरेगा के प्रति मजदूरों का आकर्षण बढ़ेगा। चटर्जी का कहना है कि मनरेगा की असल समस्या फंड का अभाव है। कोविड-19 के कारण गांव-देहात में मजदूरों की संख्या बढ़ी है। मजदूर विभिन्न शहरों से लाैट कर अपने गांव-घर में हैं। उन्हें रोजी-रोजगार की मजरूरत है। वे मनरेगा में काम करने को तैयार हैं। लेकिन अब भी मनरेगा के तहत 100 दिन की रोजगार नहीं मिल रही है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार की तरफ से फंड मुहैया नहीं कराया जा रहा है। सरकार को फंड मुहैया कराने में पर ध्यान देना होगा। इससे कोविड काल में गांव-देहात मजदूरों को रोजगार मिलेगा।