Roohi movie review : टुकड़ों में हंसाती है पर डराती नहीं

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RGA news

फिल्म रूही अपने वन लाइनर से टुकड़ों-टुकड़ों में हंसाती है, लेकिन डराने में नाकामयाब रहती है।

पहली बार चुड़ैल से प्यार का एंगल कहानी में डाला गया है। पर कट्टन्नी और अफ्जा के प्रेम प्रसंग को पर्दे पर लेखक और निर्देशक समुचित तरीके से साकार नहीं कर पाए हैं। अफ्जा के किरदार की गहराई में लेखक-निर्देशक नहीं जाते है।

हरर कॉमेडी फिल्म स्त्री की सफलता के बाद निर्माता दिनेश विजन अब उसी जॉनर में रूही लाए हैं। आम हॉरर फिल्मों में किसी इंसान में आत्मा प्रवेश कर जाती है और अपने मंसूबों को अंजाम देती है। अमूमन वह अपने साथ हुए अन्याय का बदला लेना चाहती है। उसके इस रुप से लोग खौफ खाते हैं। उस आत्मा से मुक्ति पाने को लेकर तमाम जतन होते हैं। फुकरे जैसी फिल्म दे चुके मृगदीप सिंह लांबा और गौतम मेहरा द्वारा लिखित रूही की कहानी में इसी पहलू को नए अंदाज में परोसने की कोशिश की गई है। हालांकि कमजोर पटकथा की वजह से फिल्म उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाती है।  

कहानी बागड़पुर के क्राइम रिपोर्टर भवरा पांडे (राजकुमार राव) और उसके दुमछल्ले हॉरर कॉलम राइटर कट्टन्नी (वरुण शर्मा) की है, जो ‘पकड़ाई शादी’ के धंधे में भी लिप्त हैं। यानी लड़की को अगवा करके उसका जबरन विवाह करा दिया जाता है। अपने मालिक (मानव विज) के आदेश पर दोनों रूही (जाह्नवी कपूर) को अगवा करते हैं, लेकिन शादी एक सप्ताह के लिए स्थगित हो जाती है। मालिक के आदेश पर दोनों उसे शहर से दूर अमियापुर की लकड़ी की फैक्ट्री में लेकर जाते हैं।

वहां दोनों को रूही के शरीर में अफ्जा की आत्मा होने का पता चलता है। कट्टन्नी इस आत्मा से खौफ खाने की बजाय उसे अपना दिल दे बैठता है। वहीं मासूम रूही से भवरा को इश्क हो जाता है। वह रूही से वादा करता है कि उसके शरीर से आत्मा को मुक्ति दिलाएगा। वहीं कट्टन्नी को लगता है कि उसका प्यार उससे दूर हो जाएगा। फिल्म कामयाब के बाद हार्दिक मेहता ने रूही का निर्देशन किया है। फिल्म की शुरुआत में पकड़ाई शादी को स्थापित करने में लेखक-निर्देशक ने काफी समय लिया है। अभी तक की फिल्मों में भूत-भूतनी से डरने-डराने के पहलू को हम पर्दे पर देखते आए हैं।

पहली बार चुड़ैल से प्यार का एंगल कहानी में डाला गया है। पर कट्टन्नी और अफ्जा के प्रेम प्रसंग को पर्दे पर लेखक और निर्देशक समुचित तरीके से साकार नहीं कर पाए हैं। अफ्जा के किरदार की गहराई में लेखक-निर्देशक नहीं जाते है। इसी तरह बागड़पुर में मान्यता है कि शादी वाले घर पर 'मुडियापैरी चुड़ैल' की नजर रहती है। इधर दूल्हे की आंख लगी उधर दुल्हन को उठा ले जाएगी वो... इस कांसेप्ट को भी लेखक प्रभावी नहीं बना पाए हैं।     

फिल्म के संवादों में हॉलीवुड फिल्मों के हीरो हीरोइन के किरदारों और नाम का जिक्र तोड़ मरोड़कर करके भी कॉमेडी पैदा करने की कोशिश हुई है। यह फिल्म अपने वन लाइनर से टुकड़ों-टुकड़ों में हंसाती है, लेकिन डराने में नाकामयाब रहती है।    

फिल्म में राजकुमार राव नए हेयरस्टाइल में दिखे हैं। उनकी भाषा का लहजा भी बदला है। भूतनी को देखकर डर व्यक्त करने का उनका अभिनय सजीव लगता है। जाह्नवी कपूर को फिल्म में दोहरे किरदारों को निभाने का मौका मिला है। उनके हिस्से में डायलाग ज्यादा नहीं आए हैं। लेखक ने उनके किरदारों को निखरने का मौका नहीं दिया। वरुण शर्मा अपने कॉमिक अंदाज की लय बरकरार रखते हैं। फिल्म के अंत को लेकर कुछ नया होने की उम्मीद कर रहे दर्शकों को निराशा हो सकती है।

रूही प्रमुख कलाकार : राजकुमार राव, जाह्नवी कपूर, वरुण शर्मा, मानव विज

निर्देशक : हार्दिक मेहता अवधि : 134 मिनट

स्टार : दो   

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