फुलेरा दूज से ही होता है होली का आगमन, जानें क्या है इस पवित्र त्यौहार का महत्व

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फुलेरा दूज से ही होता है होली का आगमन, जानें क्या है इस पवित्र त्यौहार का महत्व

यह फाल्गुन का महीना चल रहा है। यह सबसे शुभ माह माना जाता है। इस माह का सबसे शुभ दिन फुलेरा दूज माना गया है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण और राधा ने इसी दिन फूलों की होली खेली थी

यह फाल्गुन का महीना चल रहा है। यह सबसे शुभ माह माना जाता है। इस माह का सबसे शुभ दिन फुलेरा दूज माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन का हर पल शुभ होता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण और राधा ने इसी दिन फूलों की होली खेली थी। यह फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। ऐसे में इस तिथि को फुलेरा दूज कहा जाता है। यह त्यौहार श्रीकृष्ण और राधा जी को समर्पित है। इस दिन लोग अबी-गुलाल से नहीं बल्कि फूलों से होली खेलते हैं। इसी दिन से होली का आरंभ हो जाता है। यह दिन दोषमुक्त कहा जाता है।

मान्यतानुसार, इस दिन श्रीराधा-कृष्ण से अगर कोई व्यक्ति कोई मन्नत मांगता है उसकी इच्छा अवश्य पूर्ण होती है। वहीं, अगर कोई नया बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो इससे ज्यादा बेहतर दिन नहीं हो सकता है। वहीं, विवाह मुहूर्ते के लिए वर्ष का सबसे सर्वोत्तम दिन भी इसे ही माना गया है। कहा जाता है कि अगर इस दिन कोई विवाह करता है तो उसे राधा-कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस त्योहार को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। वहीं, मांगलिक कार्यों के लिए भी यह शुभ माना जाता है। अगर आप घर संपत्ति से जुड़ा कोई कार्य करना चाहते हैं तो भी यह दिन बेहद शुभ होता है।

मान्यता है कि इस दिन शृंगार की वस्तुओं का दान करना चाहिए। साथ ही पूरे श्रद्धा-भाव के साथ राधा-कृष्ण की उपासना करनी चाहिए। साथ ही इस दिन उनका श्रृंगार फूलों से ही किया जाना चाहिए। लोग इस दिन अपने घर और मंदिरों में स्थापित भगवान की मूर्तियों सजाते हैं। फुलेरा दूज भक्त के जीवन में खुशियां लेकर आती है। होली की तौयारियां इस दिन से शुरू हो जाती हैं।  

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