डॉ मंजू सिंह बन सकती है बरेली कॉलेज की प्रिंसिपल

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RGA न्यूज़ समाचार संवाददाता मुदित प्रताप

बरेली:- बरेली कॉलेज में इन दिनों करोडो रुपए के गमन और घोटालों को लेकर क्राइम ब्रांच की टीम जांच कर रही है लेकिन इसी बीच यह भी मुद्दा उठने लगा है कि कॉलेज में सिर्फ करोड़ों का घोटाला ही नहीं शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर भी जमकर धांधली हुई है क्योंकि कॉलेज में वरिष्ठता सूची लागू ना होने के कारण इस बात का पता ही नहीं चल पा रहा है कि कौन शिक्षक किससे सीनियर है । कॉलेज में चल रही इन दिनों चर्चा के मुताबिक फाइन आर्ट्स डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष डॉ मंजू सिंह वरिष्ठता सूची में सर्वाधिक सीनियर है वहीं बीते दिनों अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ पूर्णिमा अनिल अपने हक की लड़ाई लड़ते हुए रिटायर हो चुकी हैं। 

बताते हैं कि बरेली कॉलेज की प्रबंध समिति कालातीत घोषित हो चुकी है और कोर्ट के स्टे पर फिलहाल बरकरार है। प्रबंध समिति के अध्यक्ष बरेली के जिला अधिकारी और बोर्ड ऑफ कंट्रोल के पदेन अध्यक्ष कमिश्नर हैं। 

जब से बरेली कॉलेज के घपले घोटालों के मामले में प्रशासन ने शक्ति बढ़ती है और प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष हाजी कलीमुद्दीन को जेल भेजा है तब से कयास लगाए जा रहे हैं कि अब प्रबंध समिति और बोर्ड आफ कंट्रोल के अध्यक्ष बरेली कॉलेज में शिक्षकों के बीच चल रही घुटन को भी दूर कर देंगे और बहुत जल्द ही सीनियरिटी लिस्ट के हिसाब से ही प्रिंसिपल की नियुक्ति होगी ना कि कथित कालातीत प्रबंध समिति के एक जिम्मेदार पदाधिकारी के मनमाने हिसाब से कॉलेज चलेगा।

वरिष्ठता सूची लागू हुई तो नारी शक्ति को मिलेगा सम्मान

कॉलेज के जिम्मेदार लोग बता रहे हैं कि प्रदेश सरकार नारी शक्ति सुरक्षा और नारी सशक्तिकरण पर काफी जोर दे रही है ऐसे में अगर जिलाधिकारी और कमिश्नर ने इमानदारी से वरिष्ठता सूची का पालन करवाया तो बरेली कॉलेज की प्रिंसिपल नारी शक्ति के तौर पर डॉ मंजू सिंह का होना लाजमी है क्योंकि वह वर्तमान वरिष्ठता सूची में सर्वोच्च स्थान पर बताई जा रही है।

वर्तमान में मंजू सिंह केवल फाइन आर्ट विभाग की एच ओ डी ही है।बावजूद इसके कॉलेज प्रबंधन ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर इनको प्रिंसिपल बनने से रोका इससे पहले भी इनसे सीनियर पूर्व उप प्राचार्य डा. पुर्णिमा अनिल को भी प्रबंधन ने प्रिंसिपल बनने से रोका था। जिसके बाद मामला और गरमा गया। 

 बरेली कॉलेज में प्रबंधक कमेटी के कालातीत घोषित होने के बाद कॉलेज की भागदौड़ की कमान अब कमिश्नर के हाथ में जा रही है । ऐसे में कॉलेज की कमान जल्द ही कमिश्नर अपने हाथों में ले लेंगे इससे साफ है कि वरिष्ठता सूची को भी लागू कर दिया जाएगा । क्योंकि प्रबंधक ने अपने विशेष अधिकारी को प्रयोग कर जूनियर शिक्षक को कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त कर रखा है जिसको लेकर आए दिन विवाद होता रहता है।

जूनियर शिक्षकों को हटाने के बाद ही दूर हो सकेगा शिक्षकों का असंतोष

कॉलेज में सिर्फ घोटाला ही मुद्दा नहीं है। जिसको लेकर राजनीति चल रही है कॉलेज में घोटाले के साथ-साथ सबसे बड़ा मुद्दा है। रजिस्टर सूची को लेकर उनकी कॉलेज में दो-दो सीनियरिटी लिस्ट लागू है जिसकी वजह से इस बात का पता ही नहीं चल पा रहा है कि कॉलेज में कौन किस से सीनियर हैं। इस बात को लेकर सन 2017 से लेकर अब तक कई बार आमने सामने भी आ चुके हैं। तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ अजय कुमार शर्मा ने सीनियारिटी लिस्ट को लागू कर दिया था जिसके बाद कॉलेज का माहौल गरमा गया। जिसके बाद कॉलेज प्रशासन को बहुत सुधारने के लिए कॉलेज को सप्ताह भर तक बंद करना पड़ा था।

इन दिनों अपमानित और घुटन महसूस कर रहे हैं कई सीनियर टीचर

बरेली कॉलेज में सीनियरिटी के हिसाब से कई वरिष्ठ शिक्षक जूनियर शिक्षकों के अंडर में टीचिंग करने को मजबूर हैं और खुद को काफी अपमानित और घुटन भरा महसूस कर रहे हैं। प्रबंध तंत्र की मनमानी की वजह से वह अपनी आवाज नहीं निकाल पा रहे थे अब अंदर खाने सीनियरिटी के मुद्दे पर भी शिक्षक मुखर होने की तैयारी कर रहे हैं और बताते हैं कि बहुत जल्द कुछ सीनियर शिक्षक बोर्ड आफ कंट्रोल व प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष से मिलकर ज्ञापन भी देंगे ताकि उनका मान सम्मान बचा रहे।

 बीते कुछ वर्षों में बरेली कॉलेज में कई महिला शिक्षकों के साथ भेदभाव हो चुका है। बावजूद इसके कोई भी महिला शिक्षक अपने ही महिला साथी के पक्ष में बोलने को तैयार नहीं है । इस वक्त अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रबंध तंत्र और शिक्षक राजनीति हावी है । बात कुछ दिन पहले की है जब स्थापना प्रभारी डा. रीना अग्रवाल के विरोध में उतर आया था मगर कोई भी महिला संगठन की मदद के लिए मैदान में नहीं आया । आलम यह रहा कि शिक्षक संघ की राजनीति से परेशान डॉ. रीना अग्रवाल को पद से इस्तीफा देना पड़ा। जबकि कॉलेज की तमाम महिला शिक्षक शहर के और राज्य के कई नामी-गिरामी महिला संगठनों से महिलाओं की आवाज उठाने का कार्य कर रहे हैं लेकिन अपने ही कॉलेज में अपने ही महिला साथी की मदद के लिए कोई महिला शिक्षक बोलने को तैयार नहीं है।.

 कॉलेज में वरिष्ठता सूची लागू हो जाती है तो सभी शिक्षकों को न्याय मिल जाएगा । यह विवाद पिछले कई सालों से हो रहा है लेकिन अभी तक कॉलेज प्रशासन नहीं बचता सूची लागू नहीं कर पाया है। आप जिला प्रशासन को क्या करना चाहिए कि किसी मोस्ट सीनियर को ही प्रिंसिपल का चार्ज मिलना चाहिए जो कि एक शिक्षक के लिए भी गर्व और सम्मान की बात है।

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