किसान  विरोधी तीनो काले कृषि कानून वापस लेने के लिए महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित उपजिलाधिकारी बहेड़ी को दिया ज्ञापन

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RGA न्यूज़ संवादाता डॉक्टर मुदित प्रताप सिंह 

जनपद बरेली बहेड़ी कस्बे में पूर्व डीएफओ वर्तमान चेयरमैन पति विधानसभा प्रत्याशी नसीम अहमद ने  किसानों के समर्थन में एक बैठक कर तीन कृषि काले कानून को वापस लेने के संबंध में महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन उप जिलाधिकारी बहेड़ी को दिया बैठक को संबोधित करते हुए नसीम अहमद ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा और  उन्होंने कहा कि  किसान ही हैं जो इस निरंकुश सरकार की ईंट से ईंट बजायेगा। सरकार को लगता हैं कि किसान नासमझ हैं पर मैं उन्हें बता दूँ कि ये किसान सब समझता हैं। मंडी व्यवस्था पर बोलते हुए नसीम अहमद ने कहा कि चौधरी चरण सिंह इस मंडी व्यवस्था को लेकर आए थे जिसको बाद में सर छोटूराम जी ने पंजाब में लागू किया। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान में आज जो किसानो में थोड़ी बहुत ख़ुशहाली दिखती हैं वह इस व्यवस्था की बदोलत ही आई हैं। आगे बोलते हुए नसीम अहमद ने कहा कि फिर भी समय के साथ-साथ हर व्यवस्था में कमी आती हैं जिसमें बदलाव करने ज़रूरी हो जाते हैं। पर उसका यह मतलब नही की पुरानी व्यवस्था को एक दम उखाड़ कर फेंक दिया जाए और वो भी ऐसी व्यवस्था को जिसके कारण लाखों किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई हो। हमारे सामने बिहार जीता-जागता उदाहरण हैं कि मंडी व्यवस्था ख़त्म होने के बाद वहाँ के किसानों कि आमदनी बढ़ने की बजाय कम हुई हैं। पर फिर भी अपनी निरतंकुशता के चलते ये सरकार अपने इस ग़लत फ़ैसले को वापिस नही ले रही हैं।

नसीम अहमद ने खेती में निजी निवेश पर फिर से अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि हम निजी क्षेत्र के खेती में निवेश के विरोध में नही हैं। पर सरकार अगर किसान और पूँजीपति के बीच से निकल जाएगी तो फिर किसान को पूँजीपति के द्वारा लूटने से नही बचाया जा सकता। पिछले साल कोरोना से हुई आर्थिक तबाही पर बोलते हुए नसीम अहमद ने कहा कि जब सबकी आमदनी कम या ख़त्म हो रही थी तब भी अम्बानी हर घंटे नब्बे करोड़ कमा रहा था और अड़ानी दुनिया में सबसे ज़्यादा कमाने वाल इंसान भी इसी पिछले एक साल में बना। पर सरकार ने लोगों की नौकरियो को बचाने के लिए कोई क़दम नही उठाया। और हर वक्त ऐसे नियम बनते रहे जिससे सिर्फ़ दो लोगों को फ़ायदा पहुँचता रहा और वे दो लोग हैं अम्बानी और अड़ानी।

यह सरकार कितनी दम्भी हो गई है यह इससे ही पता चलता हैं कि जब विपक्ष में थे तो MSP पर क़ानून बनने की बात करते थे और जब सत्ता में आए और कमेटी बनाई और कमेटी ने जब MSP पर ख़रीद को बढ़ाने और क़ानूनी दर्जा देने की बात कि तो उस रिपोर्ट को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया।

इसलिए इनकी कथनी और करनी में ज़मीन आसमान का अंतर हैं जिसको किसानों ने पहचान लिया हैं और इसकी झलक आने वाले चुनावों में देखने को मिलेगी जब किसान इन्हें अपनी वोट की चोट देगा। इस मौके भूपेंद्र गंगवार, अर्जुन पटेल, राहुल सागर, पूर्व प्रधान इंद्रपाल गौतम, नदीम अहमद, जावेद खान, जुबेर मंसूरी,  चौधरी कुलबीर सिंह, परवेश सेठ, मोहम्मद नबी अंसारी, तस्लीम मंसूरी, आदि पर सैंकड़ों की तादाद में किसान भाई मौजूद रहे।

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