RGA न्यूज: राज बहादुर शर्मा (ब्यूरो चीफ)
प्लास्टिक की थैलियों पर कई राज्यों ने पाबंदी लगाई हुई है. दिल्ली में नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने पिछले साल ही 50 माइक्रोन से कम पतली प्लास्टि की थैलियों पर रोक लगा दी है.
मुंबई में इसी तर्ज़ पर कुछ प्लास्टिक थैलियों पर रोक लगाई गई है. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने प्लास्टिक की थैलियों-बोतलों के इस्तेमाल पर रोक लगाई हुई है.
इतनी पाबंदियों के बावजूद देश भर में कचरे के ढेर में प्लास्टिक की तादाद बढ़ती जा रही है. आज की तारीख़ में प्लास्टिक हमारी ज़िंदगी में कुछ इस तरह से चिपक गया है, जैसे हमारे बदन से हमारी चमड़ी.
प्लास्टिक की बढ़ती तादाद से परेशान चीन ने इसी साल एक जनवरी से हर तरह के प्लास्टिक के इम्पोर्ट पर पाबंदी लगा दी है.
अभी पिछले ही महीने कनाडा के हैलीफैक्स शहर में प्लास्टिक के कचरे की वजह से इमरजेंसी लगानी पड़ी. इसके बाद शहर में जमा क़रीब तीन सौ टन प्लास्टिक को ज़मीन मे दफ़्न किया गया. कनाडा के ही एक शहर अल्बर्टा में भारी तादाद में प्लास्टिक के कचरे को एक शेड के अंदर इकट्ठा करके रख दिया गया.
प्लास्टिक का कचरा हटाने में लगेंगे सैकड़ों साल
दुनिया भर के एक्सपर्ट कहते हैं कि जिस रफ़्तार से हम प्लास्टिक इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे 2020 तक दुनिया भर में 12 अरब टन प्लास्टिक कचरा जमा हो चुका होगा. इसे साफ़ करने में सैकड़ों साल लग जाएंगे.
सवाल ये है कि आख़िर हम इस हालत में पहुंचे कैसे? हमें प्लास्टिक से बेपनाह मोहब्बत कैसे हो गई?