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शहरों के बाद अब कोरोना तेजी से कस्बों और गाँवों में दस्तक दे रहा है। गाँवों में संक्रमितों का बढ़ता आंकड़ा चिन्ताजनक है। अगर ग्रामीण अंचलों में संक्रमण की यही रफ्तार जारी रही तो निकट भविष्य में हालात बहुत भयावह हो जायेंगे।
पहले पंचायत चुनाव के बाद गाँवों में कोरोना की रफ्तार बहुत तेजी से बढ़ी थी। रही-सही कसर मतगणना ने पूरी कर दी। अब संक्रमितों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। बरेली जनपद में आँवला, मीरगंज, नवाबगंज और बहेड़ी के गाँवों में हालात बहुत खराब हैं। प्रतिदिन यहां सैकड़ों नये संक्रमित मिल रहे हैं और दसियों मरीज दम तोड़ रहे हैं। जिला प्रशासन के रिकार्ड के अनुसार सबसे अधिक कन्टेनमेंट जोन ग्रामीण अंचलों में बने हैं। जिले में ग्रामीण अंचल में 664 कन्टेनमेंट जोन हैं जबकि शहरी क्षेत्र में 409 कन्टेनमेंट में जोन बने हैं। हालात इतने खराब हैं कि रिछा विकास खण्ड के ग्राम अंगदपुर व इमरता में पिछले छः दिनों में दस लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई हैं। जिससे गाँव वाले दहशत में हैं। कोरोना संक्रमण के कमोवेश यही हालात प्रदेश के सभी जिलों में हैं।
ग्रामीण अंचलों में कोरोना का बढ़ता प्रकोप खतरे की घंटी है। गाँवों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। अधिकांश जिलों में विकास खण्डों में केवल एक-एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। प्रदेश में कुछ ही विकास खण्ड ऐसे हैं जनमें दो या दो से अधिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। तहसील स्तर के सरकारी अस्पतालों तक में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। ना वेन्टीलेटर हैं और ना आक्सीजन के सिलेण्डर। डाक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की भी भारी कमी है। देहात के स्वास्थ्य केन्द्रों में तो हालात और भी बदतर हैं। ऐसे में यदि ग्रामीण अंचलों में कोरोना का प्रकोप बढ़ता है तो सरकार हालात पर कैसे काबू पाएगी यह कहना कठिन है। हालात समय रहते नियन्त्रित कर लिए जायें जिससे स्थिति बिगड़ने नहीं पाये।