शस्त्र और शास्त्र के ज्ञाता थे  भगवान परशुराम : इंद्र देव त्रिवेदी

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RGA News बरेली समाचार
समाज हित में अनेक कार्यों को करने के कारण परशुराम जी को भगवान के समक्ष पूजा जाता है. कल्कि पुराण के अनुसार परशुराम जी का अंतिम विष्णु अवतार का रूप कल्कि के रूप में आना शेष है. इनका जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माना जाता है.
        माना जाता है कि परशुराम जी क्रोध के साक्षात अवतार हैं जो शायद उनके कुछ कार्यों को लेकर किंवदंतियों के साथ उनसे जुड़ गया. इससे इतर देखा जाये तो हम ये भी जानते हैं कि उनका व्यक्तित्व बहुत महान और समाज सेवा के लिए समर्पित था. विंध्याचल पर्वत  को ऊपर उठने से रोक देना, समुद्र को सोख लेना, आतताइयों से भूमि छीनकर वंचितों मे बांट देना, लोगों को शिक्षित और पराक्रमी बनाने के लिए प्रेरित करना, शस्त्र- शास्त्र की विद्या में स्वयं भी पारंगत होना और राक्षसों के समूल नाश के लिए उन्हें भगवान श्री राम को सौंप देना, शिव के परम भक्त होना, घमंडी सहस्त्रार्जुन का समय पर वध करना, अपने माता- पिता असीम भक्ति में निमग्न रहना आदि उनकी श्रेष्ठता के अनेक प्रेरक उदाहरण हैं. विष्णु के छठे अवतार के रूप में प्रसिद्धि भी उनको गर्वीली भावनाओं से नहीं भर पाई. शिव का धनुष तोड़ने पर परशुराम जी ने लक्ष्मण को आड़े हाथों लिया और इसे शिव के प्रति बचकानी हरकत बताई लेकिन जब उन्हें राम तथा अन्य ऋषियों ने लोकहित में शिव

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