Visa Extension: गोवंश की मदर टेरेसा ने सरकार से मांगा सेवा का एक्सटेंशन”

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सुरभि गौशाला में गायों के साथ सुदेवी। फाइल फोटो

Visa Extension राधा सुरभि गोशाला की संचालिका सुदेवी की वीजा अवधि 25 जून को हो रही समाप्त। वीजा अवधि नहीं बढ़ी तो हो सकता है 24 सौ गोवंश के जीवन पर संकट। भाजपा नेत्री रहीं सुषमा स्वराज के हस्तक्षेप के बाद सेवा का एक्सटेंशन मिला था

आगरा असहाय और अनाथ गोवंश के संवर्धन को जिंदगी समर्पित करने वाली पद्मश्री से सम्मानित गोवंश की ''मदर टेरेसा'' को अनवरत सेवा के लिए सरकार से इजाजत लेनी होगी। जर्मन की महिला गोभक्त तथा भारत सरकार से पद्मश्री से सम्मानित फ्रेडरिक इरिन ब्रूनिंग उर्फ सुदेवी के वीजा की अवधि 25 जून को समाप्त हो रही है। दो वर्ष पूर्व उनका वीजा अवधि बढ़ाने का प्रार्थना पत्र रिजेक्ट हो गया लेकिन, भाजपा नेत्री रहीं सुषमा स्वराज के हस्तक्षेप के बाद उनको सेवा का एक्सटेंशन मिला था। उन्होंने 13 मई को एप्लाई किया है, जिसका जवाब आना बाकी है।

38 वर्ष पहले गोवर्धन में भ्रमण को आईं जर्मनी की युवती ने ब्रज में कदम रखे तो राधाकृष्ण के अनुराग की भूमि में बंधकर रह गईं। जर्मन माता-पिता की इकलौती संतान फ्रेडरिक इरिन ब्रूनिंग 2400 गोवंश की ''मदर टेरेसा'' बनकर सेवा कर रही हैं। भारतीय संस्कृति से प्रभावित इस गोभक्त ने नाम, पहनावा और भाषा इसी देश की अपना ली है। सेवा के इस सफर के कारण जर्मन महिला को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था।25 जून को सुदेवी के वीजा की अवधि खत्म हो रही है। सुदेवी ने बताया कि उन्होंने वीजा अवधि बढ़ाने के लिए लखनऊ में आनलाइन प्रार्थना पत्र दिया है। लेकिन वहां से अभी कोई जवाब नहीं आया है। अगर उनके वीजा की अवधि नहीं बढ़ाई गई तो 2400 गोवंश का जीवन संकट में आ जाएगा। वह जिंदगी के अंतिम पलों तक ब्रजभूमि में रहकर गोसेवा करना चाहती हैं। 

नजर में राधा सुरभि गोशाला

राधाकुंड से गांव कोन्हई जाने वाले मार्ग पर बनी इस सुरभि गोशाला में करीब 2400 गोवंश हैं। इनमें से करीब 60 गोवंश नेत्रहीन हैं। करीब 400 गोवंश पैरों से दिव्यांग हैं। घायल गोवंश की नियमित रूप से मरहम-पट्टी की जाती है। करीब पांच दर्जन गोवंश विभिन्न रोगों की चपेट में हैं, लेकिन उनकी सेवा में कोई कोताही नहीं बरती जाती। गोशाला के पास अपनी एक एंबुलेंस भी है। गोमाता के दूध को गोशाला का कोई भी कर्मी तथा खुद सुदेवी भी अपने निजी कार्य में नहीं लेतीं। गाय के बछड़े से बचे हुए दूध को अन्य अनाथ बछड़ों को पिलाया जाता है। 

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