

RGA news
यह अध्ययन का विषय है कि आखिर खदरा के ही सीवेज में वायरस क्यों मिला।
कोरोना वायरस सांस के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है। अभी तक पानी व भोजन के जरिए संक्रमण की कोई पुष्टि नहीं हुई है। ऐसे में सीवेज के पानी में मौजूद कोरोना वायरस से संक्रमण की कोई आशंका नहीं
लखनऊ कोरोना संक्रमण सीवेज के पानी से होने की आशंका नहीं है। अभी तक कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं है। लोहिया संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डा. विनीता मित्तल कहती हैं कि कोरोना संक्रमित मरीजों के मल में वायरस होता है, लेकिन यह संक्रमण नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस सांस के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है। अभी तक पानी व भोजन के जरिए संक्रमण की कोई पुष्टि नहीं हुई है। ऐसे में सीवेज के पानी में मौजूद कोरोना वायरस से संक्रमण की कोई आशंका नहीं है। उन्होंने कहा कि आइसीएमआर व एसजीपीजीआइ ने जो नमूने एकत्र किए थे, उसमें खदरा के नमूने में वायरस मिला है। ऐसे में यह अध्ययन का विषय है कि आखिर खदरा के ही सीवेज में वायरस क्यों मिला।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी खदरा में पीलिया, डायरिया जैसी बीमारियों का प्रकोप होता आया है। ऐसा लगता है कि वहां के सीवेज सिस्टम में कहीं कोई समस्या है। डा.मित्तल ने बताया कि कई वायरस और बैक्टीरिया मरीजों के मल में मौजूद रहते हैं। जहां तक कोविड-19 वायरस का प्रश्न है, यह केवल केवल सांस के जरिए ही लोगों को संक्रमित करता है। ऐसे में इसकी संभावना कतई नहीं कि सीवरेज के पानी से संक्रमण हो। उन्होंने बताया कि होना तो यह चाहिए कि यदि कोई कमोड का प्रयोग कर रहा है तो हमेशा उसका ढक्कन बंद करके ही फ्लश किया जाना चाहिए।
डा. मित्तल बताती हैं कि सफाई कर्मियों के लिए भी यह निर्देश दिए जाते हैं कि हाइपोक्लोराइट डालने के बाद फ्लश करके ही सफाई करें, जिससे संक्रमण की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाती है। सीवेज का एसटीपी में उपचार होता है और बायोडिग्रेडेशन के बाद यह कम ही उम्मीद है कि वायरस बच पाता हो। फिलहाल कहीं भी ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं। आइसीएमआर-एसजीपीजीआइ के अध्ययन के बाद तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी। फिलहाल इससे डरने की जरूरत नहीं।