बुराड़ी कांड से कम रहस्यमयी नहीं है देहरादून में एक परिवार के 10 सदस्यों की आत्महत्या

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RGA न्यूज देहरादून 

राष्ट्रीय राजधानी में हुई 11 लोगों की रहस्यमयी मौत के बाद राजधानी दून की भी एक इसी तरह की घटना की यादें ताजा हो गईं। यहां भी करीब सात साल पहले एक ही परिवार से ताल्लुक रखने वालों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी।

इनमें नौ लोगों के विकासनगर शक्ति नहर में मिले थे जबकि, परिवार के दामाद ने टी एस्टेट में पेड़ से लटकर आत्महत्या कर ली थी। जबकि, परिवार की एक वृद्धा बेहोशी की हालत में मिली थी।

परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर इसे आत्महत्या का मामला ही माना गया था। वृद्धा के बयानों से भी यह आत्महत्या का मामला ही लग रहा था।  हालांकि, आजतक आत्महत्या के कारणों का भी पता नहीं चल सका है। 

चार अक्टूबर 2011 को सामने आई थी ये दिल दहलाने वाली घटना

गौरतलब है कि चार अक्टूबर 2011 को विकासनगर के ढकरानी पावर हाउस के इंटेक से छह बच्चों और दो महिलाओं के शव बरामद हुए थे। कुछ ही दूरी पर एक 60 वर्षीय वृद्धा बेहोशी की हालत में पाई गई थी।

शवों की पहचान सोनू पत्नी सुभाष, रविता पत्नी मनोज, प्रद्युमभन पुत्र चंद्रशेखर, प्रथम पुत्र मनोज, अनमोल पुत्र सुभाष, मुस्कान उर्फ भूरी पुत्री शौकिंद्र, छोटी उर्फ दिया पुत्री शौकिंद्र टीना पुत्री शौकिंद्र के रूप में हुई थी। जबकि, वृद्धा का नाम कैलाशो देवी था। 

पड़ताल करने पर पाया गया कि ये सब कैलाशों के ही परिवार के लोग थे और एकसाथ घर से निकले थे। इनमें महिला की दो पुत्रियां थी, जबकि बाकी सभी नाति-नातिन। जांच में आया कि इनके साथ वृद्धा की एक पुत्री और एक दामाद भी थे।

दामाद मनोज टी एस्टेट स्थित एक पेड़ से लटका मिला था

इस आधार पर पुलिस को किसी अनहोनी की आशंका हुई तो उसने दोनों की तलाश शुरू की। अगले दिन वृद्धा का दामाद मनोज टी एस्टेट स्थित एक पेड़ से लटका मिला था। जबकि, तीसरी पुत्री हेमंत का शव शक्ति नहर से ही बरामद हो गया।

वृद्धा ने पुलिस को बताया था कि वे सभी मनोज समझाने पर ही यहां यहां सामूहिक आत्महत्या के इरादे से आए थे। उसकी तीनों बेटियों ने अपने पुत्र-पुत्रियों को पहले कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाया और फिर उन्हें नहर में धक्का दे दिया। इसके बाद तीनों ने भी छलांग लगा दी। बकौल महिला (उस समय) उसने भी छलांग लगाई थी, मगर वह बच गई। जबकि, दामाद मनोज यह मंजर देखकर वहां से भाग खड़ा हुआ था। हालांकि, बाद में उसने भी आत्महत्या कर ली। 

पुलिस इस मामले में इतनी पूछताछ के अलावा साक्ष्यों के रूप में कुछ और हासिल नहीं कर सकी थी। ऐसे में कुछ दिन बाद ही जांच बंद कर दी गई। हालांकि, अगले साल परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद हुआ तो तत्कालीन एसएसपी केवल खुराना ने रायपुर पुलिस से इसकी जांच कराई। संपत्ति का विवाद तो सुलझ गया, लेकिन आत्महत्या के कारणों से सात साल बाद भी पर्दा नहीं उठ सका। 

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