

RGA news
अलग-अलग राज्यों में भी उपचार के नुस्खे में भिन्नता है।
विशेषज्ञोंं के अनुसार कोरोना वायरस के तीसरी लहर की भविष्यवाणी को देखते हुए यह तय करना जरूरी हो गया है कि कोरोना से शरीर के अलग-अलग अंगों पर हो रहे संक्रमण के लिए क्या सही नुस्खा होना चाह
लखनऊ कोरोना के इलाज में कोई निश्चित प्रोटोकाल न होने के कारण डाक्टर अपने-अपने हिसाब से उपचार कर रहे हैं। कोरोना की पहली लहर से लेकर दूसरी लहर में इसके उपचार में मरीजों पर परजीवी रोधी, एंटी बायोटिक, विटामिन व जिंक से लेकर स्टेरायड का प्रयोग किया गया है। दवाओं के ये भारी-भरकम नुस्खे कितने कारगर रहे? इन दवाओं के अधिक सेवन से सेहत पर क्या कोई दुष्प्रभाव पड़ा? चिकित्सीय जगत में अब दवाओं के इस भारी-भरकम नुस्खे पर सवाल उठने लगे हैं। खासकर ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के मद्देनजर ये तमाम सवाल उठने लगे हैं कि इन दवाओं के अविवेकपूर्ण इस्तेमाल से शरीर का इम्युन सिस्टम प्रभावित हो रहा है। इस कारण ब्लैक फंगस की बीमारी बढ़ रही है
कहीं हाइड्रो क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल हो रहा है तो कहीं आइवरमेक्टिन
दरअसल, कोरोना संक्रमण के उपचार के लिए औषधि प्रबंधन का कोई प्रमाणिक प्रोटोकॉल जारी नहीं हो सका है। आए दिन दवाओं को लेकर भिन्न-भिन्न मत सामने आते रहे हैं। इसके चलते एंटी पैरासाइट, एंटी बायोटिक, एंटीवायरल व स्टेरायड जैसी दवाओं की एक पूरी श्रृंखला का इस्तेमाल अलग-अलग नुस्खों व भिन्न-भिन्न खुराकों के साथ कोरोना के इलाज में किया जा रहा है। इस बात का बिना आंकलन किए कि ये दवाएं असल में कितनी कारगर होंगी और उनका स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ेगा। यही नहीं अलग-अलग राज्यों में भी उपचार के नुस्खे में भिन्नता है। कहीं हाइड्रो क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल किया जा रहा है तो कहीं आइवरमेक्टिन का। साथ ही कहीं दो एंटीबायोटिक दी जा रही हैं तो कहीं एक। इससे भी लोग भ्रमित हा रहे हैं
समय-समय पर जारी तमाम सरकारी दिशानिर्देशों में यह कहा जाता है कि इन दवाओं का विवेकपूर्ण इस्तेमाल किया जाए, लेकिन इसके मानक क्या होंगे, यह स्पष्ट नहीं किया जाता है। देखा गया है कि कोरोना के उपचार में कुछ डाक्टर शुरू से ही स्टेरायड का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो कोई लंबे समय तक। यही नहीं होम आइसोलेशन में कई लोग स्वयं ही इसका प्रयोग कर रहे हैं। इससे मरीजों को कई समस्याएं हो रही हैं। विशेषज्ञों का साफ कहना है कि तीसरी लहर की भविष्यवाणी को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि कोरोना से शरीर के अलग-अलग अंगों पर हो रहे संक्रमण के लिए क्या सही नुस्खा होना चाहिए? कौन-कौन सी दवाएं दी जाएं और कितनी मात्रा में? इसके साथ ही कोरोना के दौरान कौन-कौन से पैथालॉजिकल परीक्षण उपयुक्त होंगे? चिकित्सकों के उपयोग हेतु इसकी भी स्पष्ट गाइडलाइन जारी होनी चाहिए।
केंद्र ने जारी किए क्लीनिकल दिशा निर्देश
अप्रैल 2021 में नेशनल टास्क फोर्स ने हल्के, मध्यम व गंभीर संक्रमितों के लिए चिकित्सीय दिशा निर्देश जारी किए हैं। हल्के संक्रमण वाले मरीजों के लिए होम आइसोलेशन का सुझाव दिया गया है। उपचार के लिए दवाओं में चिकित्सीय परामर्श के अनुसार पैरासीटामाल और मल्टीविटामिन लेने की सलाह दी गई है। इसमें आइवरमेक्टिन अथवा हाइड्रो क्लोरोक्वीन को भी आवश्यकतानुसार सम्मिलित किया जा सकता है। ऐसे मरीजों को एंटीबायोटिक, एंटीवायरल दवाएं देने का कोई जिक्र नहीं है, जबकि स्टेरायड को चिकित्सीय सिफारिश के अनुसार केवल अस्पताल में भर्ती मध्यम व गंभीर संक्रमितों को देने के निर्देश हैं। रेमडेसिविर व टोसिलिजुमेब दवाओं का प्रयोग बेहद सीमित मामलों में ही करने की सलाह दी गई है।
' कोरोना मरीजों के लिए हल्के संक्रमण के साथ ही गंभीर मरीजों का प्रोटोकॉल जारी किया गया है। इसके अलावा लगातार मीडिया के जरिए भी इस बात की जानकारी दी जा रही है। होम आइसोलेशन के मरीजों के लिए भी क्या दवाई ली जानी है, यह जानकारी भी जारी की गई है। दवाओं का अधिक इस्तेमाल कतई गलत है। वहीं, बिना डाक्टर की सलाह के स्टेरायड लेना नुकसानदेह हो सकता है। कई बार मरीज की स्थिति देखकर भी डाक्टर लक्षणों के आधार पर दवा देते हैं।