RGA न्यूज: मीडिया की सुरक्षा को लेकर सरकार की सहमति

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समाज में मीडिया की भूमिका को लेकर समय समय पर कई सवाल उठते रहे हैं। कभी पीत पत्रकारिता और कभी मीडिया की दलाली किसी से छुपी नहीं लेकिन फिर भी पूरे तरीके से यह नहीं कहा जा सकता की मीडिया अपनी सही भूमिका नहीं निभा रहा है। सच्चाई तो ये है की आम आदमी अगर आज अपने अधिकारों के प्रति थोड़ा बहुत सचेत है और अपना अच्छा भला बुरा समझता है इसके बावजूद की उसे बरगलाने के लिए सभी तरह के साजो समान बाज़ार में मौजूद हैं, मीडिया अपनी भूमिका में निरंतर खड़ा है। आज भी ऐसे पत्रकार है जिनके बलबूते पर लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ खड़ा है। यही कारण है की गाहे बगाहे पत्रकारों पर हमलों की भी खबर आती रहती है। पत्रकारिता और पत्रकार पर हो रहे हमलों को लेकर कई मंचों से चर्चायेँ भी होती रही है. 

 इसका एक ताज़ा उदाहरण है नोएडा में अभी हाल ही में हुये छटे ग्लोबल फेस्टिवल और जर्नलिस्म के तीसरे दिन के सेमिनार का सत्र। इस सत्र में वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम और वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह, पत्रकार अनिल पांडे, टीवी पत्रकार मारूफ़ रज़ा,फेस्टिवल के अध्यक्ष संदीप मारवाह ने पत्रकारों पर हो रहे हमलों पर अपनी अपनी चिंताएँ रखीं। बार बार एक ही बात स्पष्ट रूप से सामने आई की पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से कोई पुख्ता कदम नहीं उठाए गए हैं और न ही कोई ऐसी योजना है जहां पत्रकार स्वयं को सुरक्षित महसूस करें।

लेकिन खबरों के मुताबिक अब तस्वीर बदलनी शुरू हो चुकी है और जिसकी शुरुआत सरकार ने असम के पत्रकारों से की है। सरकार नेपत्रकारों और उनके परिवार के लिए असम की सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में एक बीमा योजना भी प्रस्‍तावित की है।

12 मार्च को विधानसभा में बजट पेश करने के दौरान असम के वित्‍त मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यह जानकारी दी। उन्होने बताया कि राज्य ने सूचना और जनसंपर्क विभाग के लिए 2018-19 में 63 करोड़ रुपये का बजट तय किया है, जिससे पत्रकारों की सुरक्षा के लिए योजनाएं लागू की जाएंगी। सरकार ने 50,000 रुपये की मीडिया फेलोशिप की भी घोषणा की जो चुनिंदा पत्रकारों को पत्रकारिता के क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए प्रदान की जाएगी। वित्त वर्ष 2018-19 में ऐसी 20 फेलोशिप दी जाएंगी।

ऐसा भी ज्ञात हुआ है की राज्‍य द्वारा मीडिया ट्रस्‍ट को दस लाख रुपये की एकमुश्‍त राशि भी दी जाएगी। इसके अलावा राज्‍य सरकार ने ड्यूटी के दौरान मारे गए या लापता घोषित किए जा चुके 31 पत्रकारों के आश्रितों के लिए एकमुश्‍त अनुग्रह राशि भी पांच लाख रुपये कर दी है। राज्‍य में 20 साल से अधिक समय से काम करे पत्रकारों को सेवानिवृत्ति का लाभ देने के लिए बजट में पेंशन स्‍कीम भी पेश की गई है। सरकार द्वारा पहले से ही कई प्रतिष्ठित पत्रकारों को हर माह 8000 रुपये की पेंशन दी जा रही है।

अब लग रहा है की असम से हुई ये शुरुआत धीरे धीरे अन्य राज्यों में होगी जिससे पत्रकारों का न केवल भविष्य सुरक्षित होगा बल्कि वे अपना कार्य और जुनून के साथ कर पाएगे जिसकी आज देश के जनमानस को बहुत ज़रूरत है ताकि सच उनसे अछूता न रहे।  

 

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