Chief Minister Yogi Adityanath: खुद की परवाह नहीं, सिर्फ लोगों की फिक्र

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कोविड अस्पताल का निरीक्षण करते सीएम योगी आदित्यनाथ। - जागरण

वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी सुरक्षा को लेकर बेफिक्र हैं। ऐसा इसलिए कि उन्हें खुद से कही ज्यादा लोगों की फिक्र है। यही वजह है कि वह टेबल से लेकर ग्राउंड लेवल तक अनवरत सक्रिय हैं। बीते तीन दिन की अति सक्रियता इसकी बानगी है।

गोरखपुर कोरोना काल में जहां हर कोई खुद को संक्रमण से बचाता फिर रहा है, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी सुरक्षा को लेकर बेफिक्र हैं। ऐसा इसलिए कि उन्हें खुद से कही ज्यादा लोगों की फिक्र है। यही वजह है कि वह टेबल से लेकर ग्राउंड लेवल तक अनवरत सक्रिय हैं। बीते तीन दिन की अति सक्रियता इसकी बानगी है

तीन दिन तक कई जिलों में जाकर लिया तैयारियों का जायजा

मंगलवार की दोपहर बाद वह गोरखपुर पहुंचे और उसके बाद चैन नहीं लिया। इंतजाम को लेकर पहले दिन गोरखपुर में अस्पताल-अस्पताल दौड़े तो दूसरे दिन यानी बुधवार को पूरे दिन देवरिया और कुशीनगर के अस्पतालों की व्यवस्था देखते रहे और उसे बेहतर किए जाने के लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को सहेजते रहे। गुरुवार को उन्होंने सिद्धार्थनगर और बस्ती में इंतजाम के हर पहलू की पड़ताल की। यानी महज तीन दिन में उन्होंने गोरखपुर-बस्ती मंडल को कोविड संक्रमण से बचाव और इलाज को लेकर सहेज डाला

 मुख्यमंत्री का यह बेहद व्यस्त दौरा कितना जमीनी था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने केवल अधिकारियों के साथ बैठक कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री नहीं कर ली, मेडिकल कालेज के अलावा उन अस्पतालों तक पहुंचे, जहां कोविड के इलाज का इंतजाम है। कुशीनगर और देवरिया में तो इंतजाम की पड़ताल के लिए गावों के अस्पताल तक पहुंच गए। इस दौरान कोरोना से बचाव के लिए प्रधानमंत्री का टेेेस्ट, ट्रीट और ट्रेस का मंत्र वह खुद तो लोगों तक पहुंचाते ही रहे, जनप्रतिनिधियों को भी इसके लिए आगे आने की अपील करते रहे।

फिर झलका योगी का बाल प्रेम

कोरोना की तीसरी लहर को बच्चों के लिए घातक माना जा रहा है। इंसेफेलाइटिस जैसी महामारी से बच्चों को निजात दिलाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अब कोरोना से बच्चों को बचाने की चिंता सताने लगी है। यही वजह है कि अपने दौरे के दौरान उनका मुख्य फोकस पीकू वार्ड का प्रोजेक्ट पर रहा, जिसे खासकर वह कोरोना से बच्चों को बचाने के लाए हैं। दरअसल बच्चे मुख्यमंत्री की कमजोरी हैं। उन्हें देखते हुए दुलारने के लिए आगे बढ़ जाते हैं। दौरे के दौरान भी कई बार देखने को मिला। ऐसे में कोरोना संक्रमण से बच्चों का जीवन संकट में पड़े, ऐसा वह हरगिज नहीं होने देना चाहते।

संक्रमण से बाहर होते ही निकल पड़े फील्ड में

मुख्यमंत्री बीते 14 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए और 30 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। 14 से 30 तक कोई भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब उन्होंने कोविड इंतजाम को लेकर अधिकारियों को वर्चुअली सहेजा नहीं। जैसे ही उन्हें रिपोर्ट के निगेटिव आने की जानकारी मिली, वह फील्ड में उतर गए। लखनऊ के डेडिकेटेड कोविड अस्पताल की प्रगति के निरीक्षण से जो ग्राउंड पर जाकर इंतजाम की हकीकत जानने और उसे और बेहतर बनाने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह गुरुवार तक बस्ती तक पहुंच गया।

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