

RGA news
दुष्यंत कुमार, विष्णु प्रभाकर व संतोष आनंद की फाइल फोटो।
कालजयी गजलकार दुष्यंत कुमार शमशेर बहादुर सिंह प्रसिद्ध गीतकार व लेखक संतोष आनंद जैसी विभूतियों को अब बीए हिंदी के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध सभी कालेजों में यह पाठ्यक्रम नए शैक्षणिक सत्र से पढ़ाया जाएगा।
मेरठ कालजयी गजलकार दुष्यंत कुमार, शमशेर बहादुर सिंह, प्रसिद्ध गीतकार व लेखक संतोष आनंद जैसी विभूतियों को अब बीए हिंदी के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध सभी कालेजों में यह पाठ्यक्रम नए शैक्षणिक सत्र से पढ़ाया जाएगा। यह नई शिक्षिा नीति लागू करने के क्रम में लिया गया निर्णय है।
शुक्रवार को कला विभाग के तीन विषयों को लेकर बोर्ड आफ स्टडीज (पाठ्यक्रम समिति) की बैठक हुई। इसमें बीए हिंदी के अलावा ड्राइंग एंड पेंटिंग और शिक्षाशास्त्र जैसे विषयों के पाठ्यक्रम तय करने के लिए चर्चा की गई। दरअसल, प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के लिए स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। इस पाठ्यक्रम में स्थानीय स्तर पर 30 फीसद तक संशोधन करने के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बोर्ड आफ स्टडीज की बैठक हो रही है।
बीए हिंदी के पाठ्यक्रम में स्थानीय साहित्यकारों और लेखकों को शामिल किया जा रहा है। लोक भाषा को भी पाठ्यक्रम में जोड़ा जा रहा है। नए शैक्षणिक सत्र से लागू होने वाले इस पाठ्यक्रम में कन्हैयालाल, विष्णु प्रभाकर, गंगा प्रसाद विमल, नाटककार जगदीश चंद्र माथुर के अलावा मशहूर गजलकार दुष्यंत कुमार की कालजयी गजलों को भी स्थान दिया गया है।
एक प्यार का नगमा है, जिंदगी की ना टूटे लड़ी, जैसे सदाबहार गीत लिखने वाले संतोष आनंद भी नए पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा होंगे। इतना ही नहीं, हिंदी को रोजगारपरक बनाने के लिए कौशल विकास से संबंधित कई कोर्स भी इसमें जोड़े जा रहे हैं। इसमें छात्र प्रिंट, इलेक्ट्रानिक पत्रकारिता के अलावा रचनात्मक लेखन का तौर तरीका भी सीखेंगे। ड्राइंग और पेंटिंग के पाठ्यक्रम को और भी रोजगारपरक बनाया जा रहा है, ड्राइंग व पेंटिंग के पाठ्यक्रम में वाल पेंटिंग और डिजाइन को शामिल किया जा रहा है। कौशल विकास के तहत माइनर सब्जेक्ट जोड़ा गया है। इन विषयों को कला के अलावा अन्य संकाय के छात्र भी ले सकेंगे।