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RGA news
फतेहाबाद में औरंगजेब द्वारा कराया गया निर्माण।
सामूगढ़ के युद्ध में हारने के बाद भाग गया था दाराशिकोह। फतेह के बाद सामूगढ़ का नाम बदलकर रखा था फतेहाबाद। यहां उसने बाग के साथ अन्य निर्माण भी कराए थे जो उपेक्षा के चलते अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ रहे हैं
आगरा। उत्तराधिकार के युद्ध में औरंगजेब को दाराशिकोह के खिलाफ पहली विजय 29 मई, 1658 को मिली थी। सामूगढ़ के युद्ध में पराजित होने के बाद दाराशिकोह शाहजहां से मिले बगैर ही चला गया था। औरंगजेब ने युद्ध में मिली फतेह की खुशी में सामूगढ़ का नाम बदलकर फतेहाबाद रख दिया था। यहां उसने बाग के साथ अन्य निर्माण भी कराए थे, जो उपेक्षा के चलते अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ रहे हैं।
मुगल शहंशाह शाहजहां अपने चार पुत्रों दाराशिकोह, औरंगजेब, शुजा व मुराद में से दाराशिकोह को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था। वर्ष 1658 में शाहजहां के बीमार पड़ने के बाद उसके पुत्रों में उत्तराधिकार का युद्ध शुरू हो गया। औरंगजेब ने मुराद को अपने साथ लेकर आगरा की ओर कूच किया। सामूगढ़ के मैदान में दाराशिकोह की सेना से उसका सामना हुआ। घमासान युद्ध में औरंगजेब ने दाराशिकोह को परास्त कर दिया। युद्ध में मिली पराजय से दाराशिकोह इतना शर्मिंदा हुआ कि वो आगरा आकर शाहजहां से भी नहीं मिला अौर जान बचाकर भाग गया। इतिहासविद राजकिशोर राजे ने अपनी पुस्तक 'तवारीख-ए-अागरा' में 10 मई, 1658 को सामूगढ़ का युद्ध होने की बात लिखी है। यह नई और पुरानी तिथियों की गणना में अंतर की वजह से है। पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि औरंगजेब ने युद्ध में फतेह पाने के बाद सामूगढ़ का नाम बदलकर फतेहाबाद रख दिया था। 40 बीघा जमीन में उसने बादशाही बाग लगवाया। इसके चारों कोनों पर छतरियां और बीच में महल बनवाया। यह महल नष्ट हो चुका है। बाग की उत्तरी व दक्षिणी दीवार में उसने दरवाजे बनवाए थे। उत्तरी द्वार आज फतेहाबाद तहसील का मुख्य द्वार है और दक्षिणी द्वार का अस्तित्व नहीं बचा है। बादशाही बाग के परिसर में तहसील समेत अन्य कार्यालय संचालित हैं। औरंगजेब ने यहां जामा मस्जिद, शाही तालाब और कस्बे में घुड़साल बनवाई थी। फतेहाबाद तहसील का गेट इतिहास से जुड़ा होने के बावजूद केंद्र या राज्य सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक नहीं है।
शाहजहां ने कैद में ली अंतिम सांस
सामूगढ़ के युद्ध में जीतने के बाद औरंगजेब आगरा पहुंचा तो शाहजहां ने उसके लिए आगरा किले के द्वार नहीं खोले। औरंगजेब ने यमुना नदी से किले में जाने वाले पानी को रुकवा दिया, जिससे शाहजहां को मजबूर होकर द्वार खोलने पड़े। औरंगजेब ने उसे आगरा किला में ही बंदी बना लिया। आठ वर्ष तक कैद में रहने के बाद वर्ष 1666 में शाहजहां की मृत्यु हुई।
नई और पुरानी तिथियों की गणना में 20 दिन का अंतर
इतिहासविद राजकिशोर राजे बताते हैं कि इतिहास लेखन में नई और पुरानी तिथियों की गणना में करीब 20 दिन का अंतर है। उन्होंने अपनी पुस्तकें नई तिथियों की गणना के अनुसार लिखी हैं। उन्होंने कहा कि बादशाही बाग यानि फतेहाबाद तहसील के गेट को संरक्षित किया जाना चाहिए।