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प्रदेश सरकार हेलीकाप्टर व हरी झंडी लेने में व्यस्त है।
पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि संविधान के तहत जो हक कर्मचारियों को मिलना चाहिए इसे देने में वर्तमान सरकार असमर्थ है। प्रदेश सरकार हेलीकाप्टर व हरी झंडी लेने में व्यस्त है।
पालमपुर, पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण शर्मा व राज्य महामंत्री एलडी चौहान ने कहा कि इंटरनेट मीडिया पर एनपीएस कर्मियों के लिए फैमली पेंशन बारे खबरें शेयर हो रही हैं जो कि असत्य हैं। बेशक हिमाचल प्रदेश सरकार इस बारे में पिछले दो सालों से सोच विचार कर रही है। लेकिन अन्य राज्यों की तर्ज पर लाभ देने में असमर्थ हैं। पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा महामंत्री एलडी चौहान खुद अतिरिक्त सचिव सरकार से बातचीत कर चुके हैं। कोरोना काल मे दिवंगत हुए कर्मियों के परिवारों के बारे पेंशन सम्बन्धी कोई योजना नहीं है। प्रवीण शर्मा ने कहा कि संविधान के तहत जो हक कर्मचारियों को मिलना चाहिए इसे देने में वर्तमान सरकार असमर्थ है। प्रदेश सरकार हेलीकाप्टर व हरी झंडी लेने में व्यस्त है।
हम वर्तमान सरकार से उन अधिसूचनाओं की मांग करते हैं जो अन्य राज्य में लागू हो चुकी हैं। अगर विधायक व मंत्री हरी झंडी अपनी गाड़ियों में लगा चुके हैं तो प्रदेश का हर कर्मचारी काली झंडी की मांग करता है। प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि हमारे कर्मी कोरोना आपदा में साथ दे रहे हैं और दिवंगत हो रहे हैं पर सरकार केंद्र की अधिसूचनाएं भी लागू नहीं कर पाई है।
प्रदेश सरकार अगर गरीब है तो फिर हेलीकाप्टर खरीदने के लिए पैसे कहां से आ रहे हैं। जो कर्मचारी वर्षो पहले मर चुके है उनके परिवार जिन्हें करुणामूल्क आश्रित परिवार कहते है उनके बच्चे दर दर की ठोकरें क्यों खा रहे हैं। कोरोना आपदा के कारण हर वर्ग पीड़ित हुआ है चाहे वे कर्मचारी हों ,व्यापारी हों या मजदूर हों सभी हाशिये पर पहुंच गए है, परंतु नेता लोग हरी झंडी गाड़ियों के लिए चाहते है जबकि गाड़ियां भी गरीब लोगों के पैसे से खरीदी गई हैं।
पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय अध्यक्ष नेशनल मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन स्कीम जनक सिंह रावत के साथ कार्य कर रहा है और जिस प्रकार से एनपीएस कर्मियों के साथ अन्याय हो रहा है उस पर पूरे देश के एनपीएस कर्मी देश और प्रदेशों की सरकारों से नाराज है। एनपीएस कर्मी कोरोना आपदा सेवाएं दे रहे हैं और बहुत से कर्मी मर चुके हैं परन्तु उन्हें एनपीएस स्कीम के हवाले कर सरकार उनका शोषण करवा रही है।
एनपीएस कर्मियों का फंड दस फीसदी जो हर महीने तानाशाही के तहत जबरदस्ती काट कर एन एसडीएल कंपनी के हवाले करती है उस पर कौन सा ब्याज मिलता है सरकार इसे स्पष्ठ करे। एनपीएस कर्मी वही ब्याज चाहते है जो जीपीएफ के तहत मिलता है। सरकार 14 फीसदी जो एनएसडीएल कंपनी को दे रही है। वह वर्तमान सरकार की अपनी कंपनी हैं और कर्मचारी के मरने या रिटायर होने के बाद सारा पैसा वापस ले लेती है।
अगर सरकार एनपीएस कर्मियों को समानता का हक नहीं दे सकती है तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। साथ ही जो कर्मी सेवाकाल के दौरान दिवंगत हुए हैं सरकार उनके बच्चों को राहत दे अन्यथा प्रदेश ही नही पूरे देश में किसानों की तरह आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।