बीस प्रकार का होता है कैलिफोर्नियम, खोदाई और न्यूक्लियर पावर प्लांट में होता है प्रमुख उपयोग

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कैलिफोर्नियम की क्षमता आइसोटॉक्स के आधार पर आंकी जाती है।

लखनऊ के इंडस्ट्रियल सेफ्टी एक्सपर्ट एवं वैज्ञानिक एसके तिवारी के मुताबिक कैलिफोर्नियम न्यूट्रान उत्सर्जित करता है। इसलिए इसका प्रयोग पोर्टेबल मेटल डिटेक्टर में भी होता है। इसके अलावा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और न्यूक्लियर पावर प्लांट में इसका मुख्य रूप से उपयोग है।

लखनऊ रेडियो एक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम का आविष्कार वर्ष 1950 में हुआ था। यह 20 प्रकार का होता है। इसके 237 से लेकर 256 आइसोटॉक्स होते हैं। कैलिफोर्नियम जिस आइसोटॉक्स अथवा जिस प्रकार का होता है, उसके अनुसार ही प्रयोग होता है। यह दुनिया का दूसरा सबसे महंगा रेडियो एक्टिव पदार्थ है। यह कहना है एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) के इंस्पेक्टर विनय कुमार 

विनय कुमार ने बताया कि इसका प्रयोग खदानों में सोने, आयल रिफाइनरी, चांदी और अन्य धातुओं की खोज (माइनिंग) के लिए होता है। इसके अलावा दवाओं के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जाता है। हालांकि, लैब से कैलिफोर्नियम की शुद्धता रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि पुलिस ने जो पदार्थ बरामद किया है, वह कितना शुद्ध है? उसके आइसोटॉक्स के बारे में जानकारी होने के बाद ही उसके प्रयोग की सही पुष्टि हो सकेगी।

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और पावर प्लांट में उपयोग

इंडस्ट्रियल सेफ्टी एक्सपर्ट एवं वैज्ञानिक एसके तिवारी के मुताबिक कैलिफोर्नियम न्यूट्रान उत्सर्जित करता है। इसलिए इसका प्रयोग पोर्टेबल मेटल डिटेक्टर में भी होता है। इसके अलावा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और न्यूक्लियर पावर प्लांट में इसका मुख्य रूप से उपयोग है। इसके अलावा विमान में अगर कोई पुर्जा खो गया हो तो उसकी खोज (डिटेक्ट) करने में इसकी मदद ली जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार कैलिफोर्नियम का उपयोग कैंसर, ब्रेन और सर्वाइकल कैंसर के इलाज में भी किया जाता है।

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