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नितिका सेना में अफसर बन चुकी हैं वह खुद उन सवालों का माकूल जवाब बनकर नए रूप में सामने हैं।
कश्मीरी पंडितों के साथ कश्मीर में हुए जुल्मों की दस्तां को कोई कैसे भूल सकता है। खासकर वे परिवार इसे कभी नहीं भुला पाएंगे जिन्होंने जुल्म झेले हैं। यही कारण रहा कि बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों को घाटी से पलायन करना पड़ा।
देहरादून: कश्मीरी पंडितों के साथ कश्मीर में हुए जुल्मों की दस्तां को कोई कैसे भूल सकता है। खासकर वे परिवार इसे कभी नहीं भुला पाएंगे, जिन्होंने जुल्म झेले हैं। यही कारण रहा कि बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों को घाटी से पलायन करना पड़ा। शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की पत्नी नितिका कौल के परिवार को भी एक समय में कश्मीर को हमेशा के लिए अलविदा कहना पड़ गया था। पुरानी बातों को भूलकर कौल परिवार ने दिल्ली में नया ठौर तलाशा।
वक्त ने पुराने घावों पर मरहम लगाया और नितिका की मुलाकात विभूति से हुई। अप्रैल 2018 में दोनों का प्रेम विवाह हुआ था। लगा था कि अतीत अब इतिहास के पन्नों में गुम हो गया है। हालांकि, नितिका के लिए नियति कुछ और ठान बैठी थी। जिस कश्मीर के आतंक से वह पीछा छुड़ा चुके थे, उनके पति ने उसी धरती पर आतंकियों से लोहा लेते हुए अपनी जान दी।
आतंक की दोहरी मार से घिरी नितिका कौल जब अपने शहीद पति के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दे रही थीं तो उनके चेहरे के भाव साफ बयां कर रहे थे कि आतंक का जो साया उनके लिए इतिहास बन चुका था, उसी ने उन पर दोहरी मार की है। नियति का ऐसा क्रूर मजाक देखकर उनके चेहरे पर अनगिनत भाव अनुत्तरित सवालों से द्वंद्व कर रहे थे। उस वक्त नितिका के पास इन सवालों का कोई ठोस जवाब नहीं था। हालांकि, जो दर्द नितिका के परिवार ने कश्मीर में झेले, उसने कहीं न कहीं उनके परिवार को मजबूती भी दी। इस वीरांगना पर दुखों का पहाड़ जरूर टूटा था, मगर टूटकर दोबारा जुडऩे की विरासत में मिली सीख का असर पति की शहादत के बाद उनके स्वभाव में भी उभरकर आया।