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बरेली के इन भाई बहन के जज्बे काे सलाम, स्काॅॅलरशिप व पाॅॅकेट मनी से लाेगाें काे बांट रहे राशन
मदद करने का जज्बा हो तो उम्र माएने नहीं रखती। जिले के फतेहगंज पूर्व के रहने वाले भाई बहन ने इसे सच साबित किया है। बहन ने अपनी छात्रवृत्ति के 16 हजार रुपये और भाई ने अपनी जेब खर्च के मिलने वाले रुपये परेशान लोगों की मदद में लगा दिए।
बरेली मदद करने का जज्बा हो तो उम्र माएने नहीं रखती। जिले के फतेहगंज पूर्व के रहने वाले भाई बहन ने इसे सच साबित किया है। बहन ने अपनी छात्रवृत्ति के 16 हजार रुपये और भाई ने अपनी जेब खर्च के मिलने वाले रुपये से लॉकडाउन में परेशान लोगों की मदद के लिए लगा दिए। उन्होंने अब तक करीब तीन सौ लोगों तक मदद पहुंचा चुके हैं। उनकी मदद का यह सिलसिला अभी भी जारी है।
लॉकडाउन मे रेहडी-पट्टी रिक्शा टेंपो चलाने वाले व मजदूरी करने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, ज्यादा दिक्कतों का सामना रोज कमा कर खाने वालों के सामने है क्योंकि लॉकडाउन के कारण उनकी कमाई का जरिया बंद है जिस कारण सरकार द्वारा राशन मिलने के अलावा भी कई लोग ऐसे होते हैं जिनका राशन कार्ड नहीं है या है तो किसी कारण राशन नहीं मिल रहा है।
आरबीएमआई कॉलेज की बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा ज्योति ठाकुर ऐसे लोगों को राशन वितरण कर मदद कर रही हैं ज्योति ठाकुर पढ़ाई के लिए मिलने वाली स्कॉलरशिप से लोगों की मदद में जुटी हुई है उनके साथ उनका एक भाई ऋषभ ठाकुर भी मदद को आगे बढ़ा जो रोजाना सुबह होते ही ज्योति ठाकुर के साथ बस्तियों में निकल जाते हैं और करीब 20 से 25 लोगों को 1 दिन में मदद कर वापस लौटती हैं।
इनकी इस मदद में कुछ अन्य लोग भी सेवा भाव से जुड़े हुए हैं जो घर-घर राशन पहुंचाने में मदद करते है। इसके लिए वह अब तक 16 हजार रुपये छात्रवृत्ति के, 12 हजार रुपये जब खर्च के और घर में रखा 20 क्विंटल गेहूं लगा चुके हैं।
दरवाजे पर रख देती हैं सामान
ज्योति ठाकुर बताती हैं कि जब वह बस्तियों में निकलती हैं तब वह राशन का सामान लोगों के हाथों में ना देकर दरवाजे पर रखकर निकल जाती हैं। जिससे किसी भी व्यक्ति के संपर्क में आने से बची रहें। इसके अलावा वह मदद करते समय फोटो खिचाने से बचती हैं। वहीं कई ऐसे लोग भ
सामग्री में यह सामान शामिल
राशन के पैकेट में 5 किलो आटा, सब्जी के साथ-साथ मसाले भी रखे जाते हैं जिससे एक व्यक्ति को 1 हफ्ते की राशन व्यवस्था हो सके। राशन वितरण के लिए रोजाना सुबह उठकर ज्योति ऐसी बस्तियों में जाती हैं जहां रेहड़ी पट्टी वाले अधिक रहते हैं उन बस्तियों में पहुंचकर ऐसे लोगों की मदद करती हैं जिन्हें राशन की जरूरत हो। ज्योति ठाकुर एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती है उसके बावजूद सेवा का यह भाव लोगों के लिए एक मिसाल है।