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शहर का सबसे पॉश इलाका रामपुर गार्डन में नगर निगम की अरबों रुपये की कोठी के सबूत मिटाने की साजिश की जा रही है। 1985 से कोठी की पत्रावली गुम है। नगर निगम के पूर्व राजस्व निरीक्षक अख्तर अली खां फाइल लेकर भाग गए हैं। निगम में न तो फाइल का पता और न निरीक्षक की कोई जानकारी मिल रही है। शनिवार को नगर निगम की जांच कमेटी ने मामले को फिर से उठाकर खोजबीन में जुट गए है।
नगर निगम बनने से पहले 1962 से पहले नगर पालिका के समय रामपुर गार्डन में रामपुर के एक नवाब से कोठी खरीदी गई थी। 1985 में बैनामा के साथ पत्रावली बनी थी। कोठी को देशराज और सत्यवती को किराये पर दी गई। यह किराया उस समय सत्यवती पर 28.15 रुपये और देशराज पर 31.65 रुपये मासिक था। धीरे-धीरे यह किराया बढ़कर सालाना 12120 रुपये हो गया। कोठी कितने गज में और किस नवाब से खरीदी इसकी पत्रावली नहीं मिल रही है। नगरायुक्त आरके श्रीवास्तव ने मामले की जांच के लिए पार्षद और अधिकारियों की एक जांच कमेटी बना दी। कमेटी के मेंबर सतीश कातिब, नरेश शर्मा उर्फ बंटी, छंगामल मौर्य और कर अधीक्षक आरपी सिंह कोठी की तहकीकात करने पहुंचे। सतीश कातिब का कहना है कि मूल पत्रावली गुम हो चुकी है। उस समय जो भी कर अधीक्षक आए उन्होंने नई पत्रावली पर नोटिंग कर लिखा है कि निरीक्षक अख्तर अली खां ने पत्रावली गुम कर दी है। नरेश शर्मा ने बताया कि किरायेदारों ने दो माह का समय कोठी खाली करने का मांगा है। कोठी नगर निगम की संपत्ति है।