भाप लेने और लंबे समय तक मास्क लगाने से नहीं होता ब्लैक फंगस, भ्रम से बचिए; जानिए विशेषज्ञ की सलाह

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एसजीपीजीआइ के डॉक्टरों ने बताया कोरोना काल से पहले भी होता था ब्लैक फंगस का संक्रमण।

संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरो-ओटोलाजिस्ट प्रो. अमित केशरी कहते हैं कि ब्लैक फंगस को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं। लोग कह रहे हैं कि भाप लेने लंबे समय तक मास्क लगाने से भी फंगस की आशंका है। यह पूरी तरह से गलत है।

लखनऊ डॉक्टर साहब! रात में कूलर चलाकर सोया था, सुबह आंख में सूजन आ गई। रात में गले में खराश थी भाप लिया तो सुबह नाक जाम हो गई, कहीं यह ब्लैक फंगस तो नहीं? ऐसे तमाम सवालों के फोन संजय गांधी पीजीआइ की ई-ओपीडी में आ रहे हंै। डाक्टर भी इनसे फोटो मंगाकर देखते हैं, कुछ और जानकारी लेते हैं तो पता चलता है कि इन्हें ब्लैक फंगस की कोई परेशानी नहीं है। संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरो-ओटोलाजिस्ट प्रो. अमित केशरी कहते हैं कि ब्लैक फंगस को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं। लोग कह रहे हैं कि भाप लेने, लंबे समय तक मास्क लगाने से भी फंगस की आशंका है। यह पूरी तरह से गलत है।

इंटरनेट मीडिया पर ब्लैक फंगस, वाइट फंगस, यलो फंगस को लेकर कई तरह की भ्रामक जानकारियां चल रही हैं। जितना खतरनाक बताया जा रहा है ऐसा नहीं है। सतर्कता बरतने से इन फंगस से लड़ा जा सकता है। म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में ज्यादा देखा जा रहा है। ब्लैक फंगस कूलर की हवा में नहीं फैलता। यह हवा में, पौधों में, बाथरूम में और हमारे आसपास ही हो सकता है, लेकिन यह एक से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता है। यह बहुत लोगों के शरीर के ऊपर भी हो सकता है, लेकिन संक्रमण उसी व्यक्ति को करता है, जिसकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। लोगों को मास्क को बदलते रहना जरूरी है, लेकिन एक ही मास्क लंबे समय तक लगाने से लोगों को म्यूकरमाइकोसिस हो रहा है, यह गलत है।

भाप लेने से नहीं होता है फंगस: भाप लेने से म्यूकरमाइकोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है, ऐसा नहीं है। इंटरनेट मीडिया पर वायरल एक डॉक्टर के इस वीडियो के दावे के सवाल के जवाब में उन्होंने यह बात कही। इस वीडियो में कहा गया था कि लोग ज्यादा भाप ले रहे हैं, इससे नाक के जरिए म्यूकर शरीर में प्रवेश कर रहा है।

कोरोना काल से पहले भी 50 फीसद थी मृत्यु दर: ब्लैक फंगस से पीडि़त मरीजों में इस बार मृत्यु दर बढ़ सकती है। कोरोना काल से पहले म्यूकरमाइकोसिस से पीडि़त मरीजों में 50 फीसद तक मृत्यु दर देखी जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से यह बढ़ सकती है।

शुगर के मरीज ध्यान रखें

इसका संक्रमण उन्हीं लोगों को होता है जो शुगर के मरीज हैं और उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है। उन्होंने कहा कि ब्लड में शुगर की मात्रा अधिक हो और प्रतिरोधक क्षमता कम हो तो इस फंगस को आपके शरीर में भोजन मिल जाता है। यह हमारे आसपास ही मौजूद रहता है।

बीटाडीन नाक में मत डालें

  • बीटाडीन से गरारा करने की बजाय नाक में इसका इस्तेमाल न करें। यह जानलेवा हो सकता है। कोरोना के मरीजों को बीटाडीन से गरारा करने के लिए कहते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि नाक में इसका इस्तेमाल किया जाए।
  • इन बातों का रखें ध्यान
  • शुगर का स्तर नियंत्रित रखें।
  • स्टेरायड का सेवन अ'छे डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
  • प्रारंभिक लक्षण होने पर डॉक्टर को दिखाएं।

नाक के जरिए फैलता है संक्रम

  • यह फंगस नाक के जरिये शरीर में प्रवेश करता है। वहां यह रक्तवाहिनी को बंद करता है।
  • इससे उस क्षेत्र की रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है और नाक में भारीपन लगता है।
  • यह नाक के पास ही साइनस में चला जाता है। साइनस वह खोखला हिस्सा होता है जो गाल के पास होता है।
  • चेहरे के किसी हिस्से में संवेदना कम हो जाना प्रारंभिक लक्षण है।
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