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RGA news
लखनऊ, कोरोना काल में करोड़ों लोगों को इम्यूनिटी देकर महामारी से लडऩे की ताकत देने वाली गिलोय अब राष्ट्रीय औषधि घोषित की गई है। आयुर्वेद में गिलोय को गुडुची व अमृता भी कहा गया है। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान सीडीआरआई के पूर्व उपनिदेशक डाक्टर एन एन मेहरोत्रा कहते हैं कि यह हर्ष का विषय है कि गिलोय को राष्ट्रीय औषधि घोषित किया गया है। इसके लिए भारत सरकार व आयुष मंत्रालय बधाई के पात्र हैं।
भावप्रकाश निघंटु के अनुसार गिलोय वात, पित्त तथा कफ तीनों दोषों का शमन करती है। यह भूख बढ़ाने वाली, रक्त का शोधन एवं उसमें वृद्धि करने वाली, ज्वर का नाश करने वाली है। इसके तने का प्रयोग छाल हटा कर किया जाता है।
डा. मेहरोत्रा बताते हैं कि जीवनीय सोसाइटी ने पिछले कई दशकों से इसका पौधा अन्य औषधीय पौधों के साथ घरों, पार्कों और स्कूलों आदि में लगाए हैं। हाल के वर्षों में हमने इसका रोपण लखनऊ के कई क्षेत्रों में किया है। मनकामेश्वर घाट पर गोमती के उत्तरी तट पर नीम का वन ङ्क्षसचाई विभाग के अवकाश प्राप्त इंजीनियर ओपी शर्मा द्वारा विकसित किया जा रहा है। उसमें भी बड़ी संख्या में नीम के साथ गिलोय का रोपण किया गया है।
एनबीआरआई के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डा संजीव कुमार ओझा बताते हैं कि गिलोय का प्रयोग करने के लिए अंगूठे के मूल के बराबर मोटाई का 6 इंच का तना लेकर इसे कूट लें या मिक्सी में पीस लें फिर कपड़े से निचोड़ कर 10 से 15 मिलीलीटर की मात्रा में ताजा रस ले सकते हैं। सूखी गिलोय का काढ़ा बना सकते हैं, इसके लिए एक बड़ा चम्मच गिलोय चूर्ण को दो कप पानी में उबालकर जब चौथाई रह जाए तो पी लें।