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बेसिक व माध्यमिक शिक्षा के कक्षा एक से नौवीं व 11वीं तक के सभी बच्चों को प्रोन्नत करने का आदेश।
यूपी बोर्ड परीक्षा 2021 बेसिक व माध्यमिक शिक्षा के कक्षा एक से नौवीं व 11वीं तक के सभी बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने का आदेश जारी किया गया है। 10वीं के परीक्षार्थियों के अंक निर्धारण के आधार को लेकर असमंजस में हैं स्कूल।
मेरठ, बेसिक व माध्यमिक शिक्षा के कक्षा एक से नौवीं व 11वीं तक के सभी बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने का आदेश जारी किया गया है। आदेश के अनुरूप यदि स्कूलों में कार्यवाही की जाती है तो बहुत से बच्चे तो परीक्षा देकर भी फेल हो गए हैं जबकि बहुत से ऐसे हैं जो अब बिना परीक्षा दिए ही अगली कक्षा में चले जाएंगे। विशेष तौर पर कक्षा नौवीं, 10वीं व 11वीं में यही स्थित बनने जा रही है।
प्रदेश सरकार की ओर से जारी आदेश के दूसरे बिंदु में कहा गया है कि, कक्षा नौवीं व 11वीं के छात्रों को उनके वार्षिक परीक्षाफल के आधार पर प्रोन्नत करें। जहां वार्षिक परीक्षा नहीं हुई वहां वर्ष भर किए गए आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रोन्नत करें। जहां आंतरिक मूल्यांकन भी नहीं हुए हैं वहां सामान्य रूप से छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत कर दिया जाए। जिन स्कूलों में वार्षिक परीक्षा हुई हैं वहां बहुत से छात्र फेल भी हुए हैं। जहां परीक्षा ही नहीं हुई वहां सारे पास हो गए।
पिछले साल फेल, इस साल पास
साल 2020 की बोर्ड परीक्षा में प्रदेश भर में तीन लाख से अधिक और मेरठ में तीन हजार से अधिक छात्र 10वीं में फेल हुए थे। वह इस साल भी कक्षा 10वीं में हैं और सभी प्री-बोर्ड या नौवीं के अंक के आधार पर बिना बोर्ड परीक्षा दिए ही उत्तीर्ण हो जाएंगे। वहीं वर्ष 2021 की बोर्ड परीक्षा में एक भी छात्र फेल नहीं होगा।
आधार नहीं होंगे एक समान
10वीं का रिजल्ट तैयार करने के लिए शासन ने समिति बनाई है। इस बाबत स्कूलों से 10वीं के छमाही और प्री-बोर्ड और नौवीं के छमाही और प्री-बोर्ड के अंक लिए गए हैं। अब जिन छात्रों ने 10वीं में छमाही व प्री-बोर्ड परीक्षा दी है, उनके रिजल्ट उसी आधार पर बनेंगे। जिन्होंने प्री-बोर्ड नहीं दिया और नौवीं में पिछले साल वार्षिक परीक्षा नहीं दी थी उनके रिजल्ट के लिए नौवीं व 10वीं की छमाही परीक्षा के ही अंक रिजल्ट का आधार होंगे जो प्री-बोर्ड व वार्षिक परीक्षा के अनुरूप नहीं हो सकते हैं।
इनका कहना है...
-रिजल्ट का आदेश असमंजस पैदा कर रहा है। परीक्षा देकर फेल होने वाले बच्चों का क्या दोष है जो वह बिना परीक्षा के पास होने वालों से पीछे रह जाएं। परिषद को समान फार्मूले पर काम करना होगा जिससे परीक्षा न कराने वाले स्कूलों की ओर से भेजे गए मनमाने अंकों का अनुचित लाभ उन्हें न मिल सके।