गर्भवती की जान बचाने के लिए 85 किमी की दौड़ लगाई, बरेली से ब्लड लिया जो निकला एक्सपायर्ड, जानिये फिर क्या हुआ

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RGA news

बदायूं के बिल्सी में भर्ती महिला के लिए खून लेने के लिए बरेली शहर आए थे तीमारदार।

कोरोना कर्फ्यू का दौर युवती के प्रसव के बाद मात्र 4.5 ग्राम हीमोग्लोबिन बचा। परिवार वाले खून लेने के लिए भटके। बदायूं के बिल्सी से यहां करीब 85 किलोमीटर दौड़ लगाई। मिनी बाइपास स्थित ब्लड बैंक से एक यूनिट ब्लड मिला। वहां अस्पताल जाकर देखा तो वह एक्सपायर्ड निकला।

बरेली,कोरोना कर्फ्यू का दौर, युवती के प्रसव के बाद मात्र 4.5 ग्राम हीमोग्लोबिन बचा। परिवार वाले खून लेने के लिए भटके। बदायूं के बिल्सी से यहां करीब 85 किलोमीटर दौड़ लगाई। मिनी बाइपास स्थित ब्लड बैंक से एक यूनिट ब्लड मिला। वहां अस्पताल जाकर देखा तो वह एक्सपायर्ड निकला। युवती के पति ने सीएमओ से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।बदायूं में बिल्सी के गांव परौली निवासी शहंशाह वजीरगंज नगर पंचायत में लिपिक हैं। बीते दिनों उन्होंने गर्भवती पत्नी शबा को बिल्सी के ही बदायूं नर्सिंग होम में भर्ती कराया था।

वहां 24 मई को शबा ने आपरेशन से बेटे को जन्म दिया। प्रसव में शबा में खून की जबरदस्त कमी हो गई। उनकी हीमोग्लोबिन 4.5 ग्राम पहुंच गया। डॉक्टर ने जान बचाने को खून का इंतजाम करने को कहा। इस पर शहंशाह ने यहां महानगर में रहने वाले अपने मित्र जेपी सिंह से मदद मांगी। मिनी बाइपास स्थित सत्या अस्पताल व ब्लड सेंटर से उन्हें एक यूनिट ब्लड मिल गया। महिला के परिवार वाले करीब 85 किलोमीटर दूर यहां आकर ब्लड 

वहां जाकर डाक्टर ने बताया कि ब्लड एक्सपायर्ड है। इस पर परिवार वाले परेशान हो गए। उन्होंने दूसरी जगह से खून का इंतजाम किया। फिर 25 मई को मामले की शिकायत यहां सीएमओ कार्यालय में की। सीएमओ के निर्देश पर जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. रंजन गौतम ने मामले की जांच शुरू कर दी है। सत्या अस्पताल के संचालक डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि ब्लड बैंक से एक्सपायर्ड ब्लड दिए जाने की जानकारी नहीं है। ऐसा होना भी नहीं चाहिए। फिर भी इसे दिखवाता हूं।

सत्या ब्लड बैंक के संचालक डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि बदायूं की मरीज शबा को जो प्लाजा दिया गया वह 17 अप्रैल 2021 को ब्लड बैंक में कलेक्ट किया गया था। उसकी एक्सपायरी 16 अप्रैल 2022 तक की थी। शायद यह बात मरीज को पता नहीं होगी। इसलिए भूलवश उन्होंने शिकायत की है। सत्या ब्लड बैंक को खुले महज दो से तीन माह हुए हैं, तो एक साल पुराना प्लाज्मा होना संभव नहीं। 

आइएमए ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. अंजू उप्पल ने बताया कि प्लाजा माइनस 30 या उससे कम तापमान में रखा जाता है, जिससे उसके क्लाटिंग फैक्टर बने रहें। इसकी एक्सपायरी एक साल होती है। अगर एक महीने अधिक भी हो गया तो कोई दिक्कत नहीं होगी, बशर्ते प्लाज्मा सही तापमान में रखा गया हो। 

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