आगरा में एयर एक्शन प्लान के दो साल, कागजों से आगे नहीं बढ़ा

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एक जून, 2019 को लांच किया गया था एयर एक्शन प्लान।

 एक जून 2019 को लांच किया गया था एयर एक्शन प्लान। दो वर्ष में अधिकांश सुझावों पर नहीं किया गया है अमल। एनजीटी ने देश के ऐसे 102 शहरों के लिए एयर एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे

आगरा, मंगलवार को आगरा का एयर एक्शन प्लान लांच हुए दो वर्ष पूरे हो गए। एक जून, 2019 को आगरा का एयर एक्शन प्लान लांच करते हुए तत्कालीन मुख्य सचिव अनूपचंद्र पांडेय ने इसे प्रदेश के लिए माडल बनाने की बात कही थी। माडल बनना तो दूर रहा, दो वर्षों में सरकार इस पर अमल तक नहीं करा सकी है। वायु गुणवत्ता में सुधार ख्वाब ही बना हुआ है और एक्शन प्लान कागजों से आगे नहीं बढ़ सका है।

एयर एक्शन प्लान को लागू कराने की जवाबदेही डीएम की अध्यक्षता वाली जिला पर्यावरण समिति की थी। प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी को नोडल अधिकारी बनाया गया था। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सुझाए गए प्लान को कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी नगर निगम, एडीए, परिवहन विभाग, वन विभाग, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी गई थी। जिम्मेदार विभागों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिससे इस पर आज तक अमल नहीं हो पाया है।

इसलिए पड़ी थी जरूरत

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने देश के ऐसे 102 शहरों के लिए एयर एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिनमें पिछले पांच वर्षों से एक्यूआइ का वार्षिक औसत 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक था। इनमें आगरा भी शामिल था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), यूनाइटेड नेशंस इन्वायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) और क्लीन एयर एशिया द्वारा तैयार एयर एक्शन प्लान को मंजूरी दी थी।

वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने को करने थे यह काम

एयर एक्शन प्लान के अनुसार एक वर्ष की समयावधि में वाहनजनित वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सार्वजनिक परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक बसों का संचालन व चार्जिंग स्टेशन की स्थापना की जानी थी। दो वर्षों में यह काम पूरा नहीं हो सका है। शहर में कहीं भी मल्टीलेवल पार्किंग नहीं बनाई जा सकी हैं। मेट्रो, रेलवे व बस स्टेशन पर बाइक जोन व साइकिल जोन ख्वाब ही बने हुए हैं।

औद्योगिक क्षेत्रों में नहीं लगीं प्रदूषण नियंत्रण डिवाइस

एयर एक्शन प्लान लांच होने के 180 दिन की अवधि में फैक्ट्री व औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण नियंत्रण डिवाइस की स्थापना होनी थी, यह काम नहीं हो सका। एयर क्वालिटी इंडेक्स की मानीटरिंग को मोबाइल वैन का इंतजाम आज तक नहीं हो सका है। ईंट भट्टों में भी जिगजैग तकनीक का उपयोग नहीं हो रहा है।

धूल उड़ने से रोकने को नहीं हुए काम

ताजनगरी में वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से धूल कण जिम्मेदार हैं। एयर एक्शन प्लान में धूल उड़ने से रोकने को शहर में मास्टर प्लान के अनुसार 180 दिन में 33 फीसद हरित क्षेत्र बनाने के साथ एक वर्ष में नालों के किनारे खुली जगहों पर इंटरलाकिंग व पौधे रोपे जाने थे। इस दिशा में भी कुछ खास प्रगति नहीं हो सकी है। निर्माण कार्यों में धूल उड़ने से रोकने के इंतजाम नहीं किए जाने पर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्मार्ट सिटी, एनएचएआइ पर जुर्माना भी लगाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों और पूर्व में बनी रिपोर्टों को ही अगर लागू कर दिया गया होता तो एयर एक्शन प्लान बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। जब जिम्मेदार सरकारी विभाग ही प्रदूषण कर रहे हों तब उनसे एयर एक्शन प्लान पर अमल करने की उम्मीद बेमानी है

एयर एक्शन प्लान में कई अच्छे सुझाव शामिल किए गए थे। ताज ट्रेपेजियम जोन में शामिल आगरा में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए प्लान में शामिल उपायों पर गंभीरता से अमल होना चाहिए था। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन किया जाना चाहिए।

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