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RGA news
सरसों के तेल में मिलावट रोकने को कानून लागू होने जा रहा है।
आठ जून से होगा कानून लागू ताजनगरी में रोज तैयार होता है 650 टन तैयार होता सरसों का तेल। आगरा में तैयार सरसों के तेल की देशभर में होती है सप्लाई। कई बड़े नामचीन ब्रांड हैं यहां। आगरा में 66 हजार हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन होता है।
आगरा,आगामी आठ जून से आगरा समेत पूरे देश में सरसोंं के तेल में मिलावट नही हो पाएगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की एक अधिसूचना के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और मानक (विक्रय प्रतिषेध और निर्बंधन) विनिमय 2011 में संशोधन किया है। आठ मार्च को जारी खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री निषेध और प्रतिबंध) तीसरा संशोधन नियमन 2021के अनुसार आठ जून 2021 को और उसके बाद किसी भी बहु स्रोतीय खाद्य वनस्पति तेल में सरसों तेल का सम्मिश्रण नहीं की जा सकेगा। यानी अब सरसों तेल को बिना किसी सम्मिश्रण के बेचना होगा।
वर्तमान में सरसों के तेल में चावल की भूसी यानी राइस ब्रान तेल, पाम तेल या अन्य किसी सस्ते खाद्य तेल की मिलावट की जाती है।
सरसों के तेल उत्पादन में आगरा देश मे अग्रणी है। आगरा में 66 हजार हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन होता है पर मांग अधिक होने के कारण यहां की प्रमुख खेरागढ़ में कागारौल रोड स्थित मंडी व किरावली मंडी में हरियाणा व राजस्थान से बड़ी मात्रा में सरसों की आवक होती है। रोज करीब 500 टन सरसों का तेल उत्पादन करने वाली आगरा आयल मिल, बीपी आयल मिल, शारदा आयल मिल व महेश आयल मिल सीधे हरियाणा व राजस्थान मंडी से सरसों क्रय करते हैं। जनपद में छह ओर आयल मिल के अलावा 200 से अधिक स्प्रेलर है, जिनके द्वारा रोज करीब 150 टन तेल का उत्पादन किया जाता है।
तेलों की बिक्री 15 किलो तक के सील बंद पैक में ही होगी
एफएसएसएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार बहुस्रोत वाले खाद्य तेलों की बिक्री 15 किलो तक के सील बंद पैक में ही की जा सकेगी। ऐसे मिश्रित तेलों को ''बहु स्रोतीय खाद्य वनस्पति तेल नाम से बेचा जा सकेगा। इसमें सम्मिश्रण में प्रयोग किये गये तेल के सामान्य अथवा वंश नाम का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बाजार सूत्रों का कहना है कि पुराने नियमों की आड़ में अब तक आम जनता को मिश्रित सरसों तेल ही उपलब्ध होता रहा है। कई खाद्य तेलों में तो केवल 20 प्रतिशत ही सरसों तेल होता था, जबकि 80 प्रतिशत दूसरे तेलों का मिश्रण होता था। चावल की भूसी के तेल का इसमें सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया जाता रहा है। मिलावट दो तरह से होती है – एक सम्मिश्रण (ब्लेंडिंग) जिसमें एक निश्चित अनुपात में मिलावट की जाती है जबकि दूसरा अपमिश्रण (अडल्टरेशन) है जिसमें मिलावट के लिए कोई अनुपात तय नहीं होता है। खाद्य तेल में अपमिश्रण पर पहले से ही रोक है जबकि तय अनुपात में ब्लेंडिग की इजाजत थी, लेकिन अब एफएसएसएआई ने इस पर भी रोक लगा दी है। आगरा में सरसों के तेल मे सर्वाधिक मिलावट की जाती थी।
सरसों और बिगाड़ेगा रसोई का बजट
पिछले कुछ दिनों से सरसों के भाव में आई तेजी से रसोई का बजट प्रभावित हुआ है। लाकडाउन की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने से सरसों की डिमांड बढ़ती रही, जिसके चलते इसके भाव मजबूत हुए। पिछले एक साल में सरसों के भाव में 32 फीसदी का उछाल आया है। बुधवार को कमोडिटी एक्सचेंज एससीडीईएक्स पर 18 जून 2021 के फ्यूचर कांट्रैंक्ट सरसों के भाव 5800 चल रहे हैं। हालांकि कुछ महीने बाद फेस्टिव सीजन और शादियों का सीजन आने के चलते इसके भाव को सपोर्ट मिलेगा और यह जुलाई-अगस्त तक 6200 का लेवल दिखा सकता है। आगरा के खेरागढ़ मेंं कागारौल रोड स्थित मंडी व किरावली मंडी में 6800 रुपये प्रति क्िवटंल के बजाय बुधवार को 6800 रुपये प्रति क्िवटंल तक सरसों की नीलामी लगी। कारोबारी ब्रजमोहन अग्रवाल व दिनेश गोयल के अनुसार पिछले चार माह से सरसों के तेल व रिफाइंड तेल के दाम आसमान छूने लगे हैं। अगर ब्रांड की बात करें तो सरसों तेल 170 रुपये लीटर से लेकर 200 रुपये और उससे भी ज्यादा दाम पर बिक रहा है। कारोबारियों अनुसार पिछले साल भी एफएसएसएआई ने ब्लेंडिंग पर रोक लगाई थी पर बाद में हाईकोर्ट दिल्ली के हस्तक्षेप पर यह रोक हटी। नतीजा सरसों तेल सस्ता हुआ पर अब एक बार रोक लगने से सरसों तेल महंगा होने की बात से इंकार नही किया जा सकता है। ऐसे में रसोई का बजट प्रभावित होगा।