आगरा में शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट ने लगाया नई आबकारी नीति को पलीता

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RGA news

आगरा में शराब ठेकेदारों का सिंडिकेट हावी है।

सिंडिकेट में शामिल लोगों और उनके स्वजन के पास हैं अधिकांश शराब के ठेके। अंग्रेजी देशी शराब माडल शाप व बीयर के हैं आगरा में 830 लाइसेंस। जिले में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे ठेकेदार हैं जिनका शराब के 50 फीसद बाजार पर लगभग कब्जा है।

आगरा,शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट ने सरकार की नई अाबकारी नीति को पलीता लगा दिया है। सरकार द्वारा एक ठेकेदार को सिर्फ दो दुकानों के लाइसेंस देने का सिंडिकेट से जुड़े लोगों ने तोड़़ निकाल लिया। उन्होंने अपने स्वजन व रिश्तेदाराें के नाम से लाइसेंस हासिल कर लिए। जिले में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे ठेकेदार हैं, जिनका शराब के 50 फीसद बाजार पर लगभग कब्जा है। जिले में अंगेजी व देशी शराब, माडल शाप, बीयर की दुकानों के 830 लाइसेंस हैं

सरकार ने शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट को तोड़ने के लिए 2021-22 में नई आबकारी नीति बनाई थी। एक व्यक्ति को दो ठेके के लाइसेंस देने का नियम बनाया था। इसके साथ ही नवीनीकरण से शेष रहने वाली दुकानों को आवंटित करने का नियम बनाया गया। सिंडिकेट से जुड़े पहले से दुकानों पर काबिज ठेकेदारों ने उनका नवीनीकरण करा लिया। सिंडिकेट के पैतरों से अनजान शराब के धंधे में उतरे नए लोगों को घाटा होने पर उन्होंने अपनी दुकानाें का नवीनीकरण नहीं कराया। इन दुकानों पर सिंडिकेट से जुड़े लोगों की पहले से नजर थी। किस ठेके से कितनी बिक्री होती है, उसकी लाइसेंस फीस कितनी है। ठेके को लेने के बाद उन्हें कहां से और किस तरह से फायदा होगा। सिंडिकेट के लोगों के लिए यह सब बाएं हाथ का खेल है।लाइसेंस हासिल करने के लिए हैसियत प्रमाण पत्र लगाना होता है। इसमें ठेके की कीमत का दस फीसद रकम का ड्राफ्ट लाटरी डालने वाले को लगाना होता है। जिले में दो लाख से एक करोड़ रुपये तक के ठेके हैं। सिंडिकेट से जुड़े लोग इन ठेकों को हासिल करने के लिए अपने स्वजन के नाम से लाटरी डालते हैं। उनका हैसियत प्रमाण पत्र व रकम जमा कराते हैं। इस तरह से ठेके भले ही उनके स्वजन या रिश्तेदार के नाम से हों, लेकिन उसके असली मालिक सिंडिकेट से जुड़े लोग होते हैं। इसके अलावा सिंडिकेट से ठेकेदार लोग ऐसे लोगों को तलाश करते हैं जो इस धंधे में रकम लगाने को तैयार हों। सिंडिकेट इन लोगों की हैसियत प्रमाण पत्र के आधार पर ठेके हासिल कर लेता है। इसमें लाइसेंस की दस फीसद फीस का ड्राफ्ट लगाने से लेकर लाइसेंस हासिल करने के लिए पूरी रकम वही जमा करता है। अनुज्ञापी को महीनेदारी या एकमुश्त रकम भुगतान कर देता है। इसके बाद लाइसेंस भले ही अनुज्ञापी के नाम पर हो, लेकिन ठेके को सिंडिकेट से जु़डे़ लोग ही चलाते हैं

सिंडिकेट और राजनीतिक गठजोड़: शराब सिंडिकेट से जुड़़े लोग किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं। वह राजनीतिक दलों में अच्छी पैठ रखते हैं। जिले में कई छुटभइयों के पास अंग्रेजी और देशी शराब ठेकों के लाइसेंस है। यह ठेके देहात क्षेत्र में ज्यादा हैं। सिंडिकट में शामिल लोगों के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे संबंध हैं। इसके सरकार किसी की भी हो, उनका धंधा चलता रहता है।

बंद शटर में 24 घंटे खुली रहती है दुकानें

शराब सिंडिकेट से जुड़े लोगों का प्रभाव इसी से समझा जा सकता है कि दुकानाें का शटर गिरने के बाद भी 24 घंटे बेखौफ बिक्री जारी रहती है। आबकारी से लेकर पुलिस तक में शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। आए दिन बंद दुकानों के पीछे शराब की बिक्री के वीडियो इंटरनेट मीडिया में वायरल होते रहते हैं।

जिले में शराब कारोबार

830: अंग्रेजी व देशी शराब ठेके, माडल शाप, बीयर शाप।

1.42 करोड़ लीटर: देशी शराब पिछले वित्त वर्ष में बिकीं।

1.50 करोड़ बोतलें: अंग्रेजी शराब की पिछले वित्त वर्ष में बिकीं।

60 लाख केन: बीयर की केन पिछले वित्त वर्ष में बिकीं।

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