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जवाहर बाग में बुधवार को शहीद पति एवं तत्कालीन एसपी सिटी को पुष्पांजलि अर्पित करतीं उनकी पत्नी अर्चना द्विवेदी।
जवाहर बाग हिंसा के बाद सरकार ने जो भी वादे किए थे अब तक कोई पूरा नहीं हुआ। शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने डीएम-एसएसपी से मांगी जवाहर बाग में जमीन। उनके पति के नाम पर कोई स्मारक बना और न ही पार्क का नामकरण किया।
आगरा, जवाहर बाग हिंसा में पांच साल पहले शहीद हुए तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने अपने स्वजन के साथ बुधवार को जवाहर बाग स्थित नवग्रह वाटिका में पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा, पांच साल पहले हम जहां पर खड़े थे, आज भी वहीं खड़े हुए हैं। कुछ भी नहीं हुआ। न उनके पति के नाम पर कोई स्मारक बना और न ही पार्क का नामकरण किया। सीबीआइ जांच में भी कुछ नहीं हो पा रहा है। सरकार उनके पति के नाम पर एक स्मारक नहीं बनवा सकती है तो शहादत स्थल पर एक छोटा सा हिस्सा उनको दे दिया जाए। वह खुद वहां पर मुकुल स्मृति स्थल बनवा लेंगी।
राजकीय उद्यान जवाहर बाग को स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह के स्वयंभू अध्यक्ष रामवृक्ष यादव ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर मार्च 2014 में कब्जा कर लिया था। हाईकोर्ट के आदेश पर 2 जून 2016 को तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की अगुवाई पुलिस कब्जाधारियों को हटाने गई। रामवृक्ष यादव और उसके अनुयायियों ने पुलिस पर हमला बोल दिया था। हमले में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष यादव शहीद हो गए, जबकि 27 अन्य लोगों की भी मौत हुई थी। इस घटना ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी अपने भाई विनोद पांडेय और बहनोई सतीश पांडेय के साथ सुबह जवाहर बाग पहुंची।
एसपी सिटी की स्मृति में बनाई गई नवग्रह वाटिका पर उन्होंने अपने पति को नम आंखों से पुष्पांजलि दी। इसके बाद वह उस स्थल पर भी गईं, जहां एसपी सिटी शहीद हुए थे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए अर्चना द्विवेदी ने कहा, पांच साल पहले हम जहां पर खड़े हैं, आज भी वहीं खड़े हुए हैं। सरकार ने जो वादे किए थे, कोई आज तक पूरा नहीं हो सका। तब कहा गया था, उनके पति के नाम पर स्मारक बना जाएगा और जवाहर बाग का नाम भी बदल कर मुकुल द्विवेदी के नाम पर किया जाएगा। ऐसा यहां कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है। जवाहर बाग का सुंदरीकरण हो गया, लेकिन उनके पति के नाम पर सिर्फ एक वाटिका बनाई गई।
जब श्रीकांत शर्मा सरकार में नहीं थे, तब भी उन्होंने कहा था, वह यहां स्मारक बनवाएंगे और जवाहर बाग का नाम भी मुकुल द्विवेदी के नाम पर रखा जाएगा। अब वह सत्ता में हैं। वह कई बार उनसे मिली। हर बार यही कहा गया कि फाइल मुख्यमंत्री के यहां हैं। सीबीआइ जांच को लेकर उस समय सरकार ने कोई वादा नहीं किया था। बाद में कोर्ट के आदेश पर जांच सीबीआइ को सौंपी गई। सीबीआइ भी कुछ नहीं कर रही है। यह कहते-कहते उनकी आंखे भर आई और बोली अगर सरकार कुछ नहीं कर पा रही है तो जवाहरबाग में उनको शहादत स्थल पर एक छोटा सा हिस्सा ही उनको दे दिया जाए। वह खुद ही मुकुल स्मृति स्थल बना लेंगी।
वह सोते हुए लोगों को जगाने के लिए आई हैं। इसी मांग को लेकर उन्होंने डीएम और एसएसपी को भी पत्र दिए। जिसमें कोई वादा पूरा नहीं होने पर हृदय से दुखी होने की जिक्र करते हुए कहा कि उनके पति के नाम पर किसी चौराहे का भी नामकरण किए जाने का वादा किया गया था। वह भी नहीं हुआ। अंत उन्होंने कहा, देखते हैं, अभी कितना और इंतजार करना पड़ेगा।