सुरक्षा को लेकर अयोध्या में साधुवेशधारियों की पहचान का होगा सत्यापन 

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अयोध्या में उन साधुओं की पहचान को लेकर कोई संकट नहीं है, जो मंदिरों के महंत, पुजारी, कोठारी, भंडारी आदि अन्यान्य व्यवस्था संबंधी भूमिका में नगरी के स्थाई सदस्य हैं...

अयोध्या: रोहित तिवारी: अयोध्या में रह रहे साधुवेशधारियों की पहचान का सत्यापन किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि कहीं इस संवेदनशील स्थान पर कोई संदिग्ध व्यक्ति तो नहीं रह रहा। पुलिस-प्रशासन की यह पहल उच्च स्तर से प्राप्त निर्देशों के क्रम में रामनगरी की सुरक्षा के मद्देनजर है। क्षेत्राधिकारी आरके साव के मुताबिक जांच और सत्यापन की शुरुआत यलो जोन से की गई है।

अयोध्या में उन साधुओं की पहचान को लेकर कोई संकट नहीं है, जो मंदिरों के महंत, पुजारी, कोठारी, भंडारी आदि अन्यान्य व्यवस्था संबंधी भूमिका में नगरी के स्थाई सदस्य हैं पर इससे कई गुना अधिक संख्या उन साधुवेशधारियों की है, जो विभिन्न मेलों अथवा पर्वों पर दूर-दराज के क्षेत्रों से आकर धूनी रमाते हैं। ऐसे में साधुओं की जमात में उन अवांछनीय तत्वों को छिपने का मौका मिल सकता है, जो नगरी की सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकते हैं।

यह आशंका यूं ही नहीं है। चार दशक पूर्व से लेकर दो दशक पूर्व तक रामनगरी साधुवेशधारी अपराधियों की अभयारण्य बनी रही थी। 1974 में बिहार के कुख्यात तस्कर कामदेव ङ्क्षसह की पुलिस एनकाउंटर में मौत के बाद उसके बिखरे गिरोह ने अयोध्या में पनाह ली थी। इसके बाद साधुवेशधारी अपराधियों की पूरी पांत-पीढ़ी सामने आई, जिसने संगठित तौर पर अपराध करने शुरू कर दिए।

स्पष्ट न होने से वे पुलिस को आसानी से चकमा देने में भी कामयाब होते रहे। रामकृपालदास साधुवेश और अपराध के बीच समीकरण का दशकों तक पर्याय बना रहा, तो दर्जनों की संख्या में उसके गुर्गे साधु वेश धारण कर कानून-व्यवस्था एवं पुलिस के लिए चुनौती बने रहे।

का नागरिक हो चुका है गिरफ्तार

डेढ़ दशक पूर्व खाकी अखाड़ा मंदिर में सालों से रहने वाले इटली के नागरिक को गिरफ्तार किया जा चुका है। एक खुफिया अधिकारी के अनुसार यह बेहद गंभीर मसला था और यह घटना उस आशंका को बल प्रदान करने वाली रही है कि साधुवेशधारियों की पहचान का सत्यापन जरूरी है। 

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