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हाईटेंशन लाइन के लिए 5 साल पहले काटे गए पेड़ों के मुआवजे का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। किसानों ने रामपुर के बराबर मुआवजा लिए बगैर हाईटेंशन लाइन से सटे पेड़ों को कटवाने से साफ इंकार कर दिया है। प्रशासन के समझाने के बाद भी विवाद खत्म नहीं हुआ है । पावर ग्रिड के अफसरों ने पेड़ों की वजह से हाईटेंशन लाइन के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका जताई है।
हाईटेंशन लाइन में आई पेड़ों के मुआवजे को लेकर कई साल से खींचतान चल रही है। रामपुर के किसानों को बरेली के मुकाबले पेड़ों का 10 गुना अधिक मुआवजा दिया गया था। बरेली के किसान रामपुर के मुआवजे की मांग को लेकर हाईकोर्ट तक गए थे। हाईकोर्ट ने बरेली के डीएम को मामला सुलझाने का अधिकार दिया था। हालांकि पावर ग्रिड की जिद की वजह से विवाद खत्म नहीं हो सका। जो पेड़ काटे गए थे उनके बराबर में दूसरे पेड़ हाईटेंशन लाइन से टच हो रहे हैं। इन पेड़ों की छटनी करने के लिए पावर ग्रिड में हाईकोर्ट से अनुमति मांगी थी। हाईकोर्ट में डीएम को पेड़ों की छंटाई कराने का अधिकार दिया था। मगर किसानों ने रामपुर के बराबर मुआवजा लिए बगैर पेड़ों की छंटनी करवाने से साफ इंकार कर दिया है। सभी प्रयास नाकाम साबित हुए हैं। अगर यह मसला नहीं सुलझा तो किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। यूपी के साथ-साथ उत्तराखंड के कई इलाकों की बिजली गुम होने का भी खतरा है।