आगरा में स्‍कूली बच्‍चों को एनजीओ से पढ़ाने की तैयारी, शिक्षक संगठनों में आक्रोश

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उच्‍च प्राथमिक स्‍कूलों में बच्‍चों को एनजीओ द्वारा पढ़ाए जाने का विरोध शिक्षक संगठन कर रहे हैं।

बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से पढ़वाने और उनका मूल्यांकन कराने की तैयारी है। कन्वीजीनियस संस्था से मूल्यांकन व उपचारात्मक अध्ययन कराने से आक्रोश। संस्था पर लगाया कुशल प्रशिक्षित और अनुभवहीनता का आरोप।

आगरा,बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से पढ़वाने और उनका मूल्यांकन कराने की तैयारी है। इसके लिए कन्वीजीनियस नामक संस्था के साथ फरवरी से अप्रैल 2021 तक आठ जिलों में कक्षा छठवीं से आठवीं तक के विद्यार्थियों का वाट्सएप आधारित मूल्यांकन और उपचारात्मक अध्ययन मंच नाम से कार्यक्रम चलाया गया, जिसे प्रदेशभर में लागू करने की तैयारी है। इसको लेकर शिक्षक संगठनों में उबाल है।

यह आक्रोश महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद के उस आदेश को लेकर है, जिसमें उन्होंने सभी जिला बेसिक शिक्षाधिकारियों (बीएसए) को कन्वीजीनियस संस्था द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में वाट्सएप आधारित मूल्यांकन और उपचारात्मक अध्ययन मंच नाम से कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही इस प्रस्ताव पर बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन से अनुमोदन भी मांगा है। अनुमोदन की उम्मीद में बीएसए से अपेक्षा की गई है कि एनजीओ के प्रस्ताव के अनुसार आगामी दो माह तक कार्य करने के लिए खंड शिक्षाधिकारियों और शिक्षकों को निर्देशित करें, जिससे एनजीओ काम शुरू कर सके।

शिक्षक हैं आक्रोशित

उनके इस निर्देश से शिक्षक संगठनों में आक्रोश व्याप्त है। यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन जिलामंत्री राजीव वर्मा का कहना है कि विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए आनलाइन व दूरदर्शन पर प्रसारित वीडियो लेक्चर से शिक्षण, आफलाइन एप के साथ पढ़ाई के ढेरों इंतजाम है। बावजूद इसके यह जानकारी नहीं कि विद्यार्थी वास्तव में पढ़ रहे हैं या नहीं। परिषदीय विद्यालयों के ज्यादातर विद्यार्थी गरीब परिवारों के हैं, जिनके अभिभावकों के पास संसाधनों व स्मार्टफोन का अभाव है। जिनके पास है, उनके साथ भी तमाम आर्थिक समस्याएं हैं। ऐसे में आनलाइन कक्षाएं महज दिखावा साबित हो रही है, क्योंकि बिना स्मार्टफोन आनलाइन कक्षाओं की बात बेमानी है।

एनजीओ की गुणवत्ता पर सवाल

शिक्षक संघों का कहना है कि एक तरह शासन परिषदीय विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता बेहतर करने को योग्य शिक्षकों की तैनाती चाहता है, जिसके लिए बीटीसी, बीएड के साथ टेट और सुपर टेट पास करके ही शिक्षकों की नियुक्ति होती है, वहीं एनजीओ से शिक्षण कार्य करवाने की तैयारी है। ऐसे में एनजीओ पात्रता परीक्षा पास किए बिना शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे लगाएगी, बड़ा सवाल है।

करेंगे विरोध

यूटा जिलाध्यक्ष केशव दीक्षित का कहना है कि कई चरणों की परीक्षा पास कर प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति होती है। ऐसे में अनाधिकृत रूप में एनजीओ द्वारा शिक्षण व्यवस्था संभालने का हम विरोध करते हैं। एनजीओ प्रशिक्षित नही हैं। इसका संगठन विरोध करेगा।

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