घाेंसले बनाने को परिंदाें ने ढूंढा आगरा में नया ठिकाना, पढ़ें कहां बढ़ा रहे जोड़े परिवार

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जोधपुर झाल में एक पेड़ पर बनाए अपने घोंसले की रखवाली करते पक्षी।

जोधपुर झाल बन रहा पक्षियों का प्रजनन स्थल। जोधपुर झाल पर इस वर्ष बारिश और सिंचाई विभाग द्वारा छोडे गये पानी से पक्षियों को प्रजनन के अधिक अवसर मिल रहे हैं। जोधपुर झाल पर भोजन की उपलब्धता से प्रजनक पक्षियों को अधिक रास आ रही है।

आगरा, प्रदूषण, नष्ट होते वेटलैंड्स, पेड़ों की कटाई व मानवीय हस्तक्षेप से पक्षियों की आबादी पर संकट खड़ा होता जा रहा है। इंसानो ने पक्षियों के हेविटाट पर अतिक्रमण कर उन्हे बेघर कर दिया है। निराशाजनक स्थिति के बीच आगरा-मथुरा की सीमा पर स्थित जोधपुर झाल से उत्साहित करने वाली खबर मिल रही है। जोधपुर झाल अब केवल प्रवासी पक्षियों की शरणस्थली ही नही बल्कि स्थानीय प्रवासी व आवासीय पक्षियों की प्रजनन स्थली बन गई है। जैव विविधता का अध्ययन करने वाली संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी द्वारा जोधपुर झाल का अध्ययन एवं संरक्षण किया जा रहा है। इसके प्रयासों के सुखद परिणाम आ रहे हैं।

फिजेन्ट टेल्ड जेकाना के जोड़े बढा रहे परिवार

इस साल फिजेन्ट टेल्ड जेकाना के सात जोड़े पहली बार प्रजनन के लिए जोधपुर झाल पर पहुंचे हैं। जोधपुर झाल पर नर व मादा की संख्या कुल 14 दर्ज की गई है। इन्होंने यहां अपने घौसला बनाकर प्रजनन प्रारम्भ कर दिया है। फिजेन्ट टेल्ड जेकाना जलीय पक्षियों में वैडर श्रेणी में आता है। यह पक्षी तालाबों, दलदली जगहों, पानी भरे खेतों, छोटी झीलों आदि में रहकर प्रजनन करता है। इसका प्रजनन काल जून से सितंबर तक होता है। अन्य पक्षियों की तरह प्रजनन काल मे इसके भी रंग मे परिवर्तन हो जाता है। इसके शरीर के नीचे के हिस्से का रंग काला तथा पूंछ काली लंबी हो जाती है।

घोंसले में अंडे सेना व चूजों की देखभाल की जिम्मेदारी नर पक्षी द्वारा निभाई जाती है। इनका घोंसला जलीय वनस्पति पर तैरते हुए घास के ढेर जैसा दिखता है। यह अपना घोंसला जलीय वनस्पति में मौजूद पिस्टिया, निम्फाइड्स, हाइड्रिला आदि के पत्तों पर बनाते हैं। मादा एक बार में चार तक अंडे देती है। इस पक्षी का मुख्य भोजन जलीय वनस्पति, जलीय कीट व घोंघा आदि होते हैं। यह पानी के ऊपर तैरने वाली वनस्पति जैसे सिघाड़ा, कमल, जलखुम्भी , लिली आदि वाली जगहों पर रहते हैं। कम गहरे पानी के अंदर चलते और तैरते भी हैं।

जोधपुर झाल पर बीवर की तीन प्रजातियां बना रही घौंसले

जोधपुर झाल पर बीवर की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। ये प्रजातियां हैं बया बीवर, ब्लैक-ब्रस्टेड बीवर और स्ट्रीक्ड बीवर। यह तीनो प्रजातियां मानसून से पहले प्रजनन संपूर्ण कर लेती हैं और मई-जून इनका प्रजनन काल होता है। बीवर अपने अनोखे घौंसले बनाने के लिए प्रसिद्ध है। जोधपुर झाल पर बीवर की कोलोनियल नेस्टिंग होती है। जोधपुर झाल पर स्थलीय पक्षियों की कई प्रजातियां प्रजनन करती हैं। मुख्य रूप से रेड मुनिया, सिल्वर विल मुनिया , स्केली ब्रस्टिड मुनिया , ट्राइकलर मनिया, ग्रीन बी ईटर , इंडियन रोलर, ग्रे होर्नबिल, काॅपर स्मिथ बारबेट, ब्लैक फ्रेंकलिन, ग्रे फ्रेंकलिन, स्ट्रीक्ड बेबलर, लार्ज ग्रे बैबलर, ब्लैक ड्रोगों, स्पोटिड आउल, लोंग टेल्ड श्राइक, पैराकीट, पाइड बुशचैट, साइबेरियन स्टोन चैट, इंडियन पीफाॅल, टेलर बर्ड, प्लेन प्रीनिया, ऐशी प्रीनिया जोधपुर झाल पर प्रजनन करते हैं।

देखभाल और रख रखाव से बढ़ गई प्रजनक पक्षियों की संख्या

बीआरडीएस के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ के पी सिंह के अनुसार किसी भी वेटलैंड की स्थिति के आंकलन के लिए प्रजनन स्थल बनना एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। पक्षियों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल में घोंसला निर्माण की सामग्री, अंडो व चूजों की सुरक्षा , भोजन की प्रचुर उपलब्धता और मानव का हस्तक्षेप का अभाव होना मुख्य कारक होते हैं। पक्षी इन्ही कारकों को ध्यान में रखकर अपने प्रजनन स्थल का चयन करते हैं। जोधपुर झाल वेटलैंड इन मानकों पर खरा उतर रहा है। जोधपुर झाल पर इस वर्ष बारिश और सिंचाई विभाग द्वारा छोडे गये पानी से पक्षियों को प्रजनन के अधिक अवसर मिल रहे हैं। जोधपुर झाल पर भोजन की उपलब्धता से प्रजनक पक्षियों को अधिक रास आ रही है। जोधपुर झाल पर जलीय पक्षियों में लेशर विशलिंग डक, नाब-बिल्ड डक, स्पाॅट विल्ड डक, पर्पल स्वैम्प हैन, लिटिल ग्रीव, लिटिल रिंग्ड प्लोवर, केन्टिश प्लोवर, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, सारस क्रेन, यूरेशियन स्पून-बिल्ड डक, काॅमन मूरहैन, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हैन, रेड वेटल्ड लेपविंग आदि के प्रजनक पक्षियों की संख्या प्रति वर्ष लगातार बढ़ रही है। 

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