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बिठूर के अखंड शिवधाम आश्रम का विवाद।
अखंड आश्रम का ट्रस्ट वर्ष 1944 में बना था और भक्तों के दान से सभी संपत्तियां बनाई गई हैं। अखंड आश्रम का दावा शिवधाम आश्रम भी ट्रस्ट का हिस्सा है और स्वामी अखंडानंद जी महाराज ने करीब सवा सौ नींव रखी थी।
कानपुर, बिठूर के अखंड शिवधाम आश्रम की संपत्तियों पर कब्जेदारी को लेकर इन दिनों संघर्ष चल रहा है। समग्र विकास एवं शिक्षा प्रचार समिति और चित्रकूट अखंड आश्रम ट्रस्ट अपने-अपने दावे कर रहे हैं। समित का गठन भले ही वर्ष 2016 में हुआ हो, लेकिन अखंड आश्रम का इतिहास सवा सौ साल पुराना है और देश में इस ट्रस्ट के 300 से भी ज्यादा आश्रम हैं। अकेले कानपुर में बिठूर सहित चार आश्रम स्थापित हैं।
चित्रकूट अखंड आश्रम ट्रस्ट के ट्रस्टी स्वमी प्रभुतानंद ने बताया कि स्वामी दयानंद जी महाराज के शिष्य स्वामी अखंडानंद जी महाराज ने करीब सवा सौ पहले इस आश्रम व्यवस्था की नींव रखी थी। स्वामी जी आम के वृक्ष के नीचे बैठकर साधना किया करते थे। बताते हैं कि उनका ऐसा प्रभाव था कि जिस स्थान पर वह आम के वृक्ष के नीचे साधनारत हो जाते थे, वहीं उनका आश्रम बन जाता था।
कानपुर में बिठूर आश्रम 70 साल पुराना है, जबकि मैनावती मार्ग, कल्याणपुर और ढिकनापुर में ट्रस्ट के आश्रम हैं। दिवंगत महंत स्वयं प्रकाशानंद को आश्रम की जिम्मेदारी उनके गुरुभाई स्वामी शिवानंद जी महराज की मृत्यु के बाद मिली।
शुक्रवार को साध्वी सतरूपा ने वाट्सएप ग्रुप पर एक प्रेस नोट जारी किया। प्रेस नोट में साध्वी सतरूपा ने आश्रम में खुद को असुरक्षित महसूस करने और आश्रम में अराजकता वाले माहौल के बारे बताया। साध्वी का कहना है सन्तों ने महामंडलेश्वर की उपस्थिति में उनका पट्टाभिषेक किया है। कुछ लोग आश्रम पर कब्जा करना चाहते है।
ब्रजानंद अवधूत का स्वास्थ्य खराब
स्वामी ब्रजानन्द ने बताया कि गुरुवार दोपहर के बाद से उन्हें बीपी की समस्या के साथ दस्त की शिकायत हो रही है, इसलिए वह अखण्ड शिवधाम आश्रम में ज्यादा समय नही दे पा रहे हैं।
आश्रम विवाद पर डीसीपी को पत्र
आश्रम विवाद में शुक्रवार को डॉ. रेनू तिवारी के लीगल एडवाइजर ने डीसीपी पश्चिम दफ्तर में एक शिकायती पत्र दिया। पत्र में अधिवक्ता ने आश्रम के मौजूदा हालात का जिम्मेदार क्षेत्रीय पुलिस को बताया है। आरोप लगाया है कि बिठूर पुलिस आश्रम संचालिका डॉ रेनू तिवारी पर दबाव बना रही है। अधिवक्ता ने न्यायालय के ग्रीष्म अवकाश के चलते वाद दाखिल न कर पाने का हवाला दिया है।