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आरएसएस के प्रचारक रामविलास शांडिल्य पौधा लगाते हुए।
रामविलास शांडिल्य राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के प्रचारक हैं। उन्हें आज हर कोई पर्यावरण रक्षक के रूप में जानता है। उनका जीवन का उद्देश्य है आरएसएस की योजना से जो उनको दायित्व मिला है वह कार्य करना और पौधा लगाना।
लखीसराय। गुजरात के सूरत शहर में वर्ष 1994 में सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और पेड़-पौधे से ही अपना नाता जोड़ लिया। रामविलास शांडिल्य इस कारण पर्यावरण प्रहरी के नाम से जाने जाते हैं। बिहार के विभिन्न जिलों में संघ के प्रचारक की जिम्मेदारी निभाते हुए अपने जीवन में एक लाख पौधा लगाने का संकल्प लिया है। अबतक 49,500 पौधा इन्होंने लगाया है, जिसमें 25 हजार पीपल, बरगद, जामुन, आंवला, आम के पेड़ हैं। कोरोना काल में भी वे शहरी और ग्रामीण अंचलों में लोगों को पौधारोपण करने के लिए प्रेरित करने में लगे हुए हैं। विगत कई वर्षों से वे लखीसराय जिले में अपने संकल्प को पूरा कर रहे हैं। रामविलास शांडिल्य मूल रूप से खगड़िया जिले के भरतखंड गांव के रहने वाले हैं। वे कहते हैं कि जबतक जिंदा रहेंगे प्रकृति की पौधारोपण करेंगे, लोगों से कराएंगे, प्रकृति की पूजा करेंगे और देव समान वृक्ष के संरक्षण का काम करते रहेंगे।
पीपल का पौधा लगाकर लिया संकल्प
काम करते-करते वर्ष 2008 में राजधानी पटना में पर्यावरण भारती संस्था की स्थापना की। आरएसएस ने देशव्यापी पौधारोपण अभियान को सफल बनाने के लिए रामविलास शांडिल्य को प्रांतीय संयोजक बनाया है। रामविलास बताते हैं कि उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़ दी। संघ से जुड़ने में बाद प्रकृति की रक्षा करने का संकल्प लिया। इससे पहले 20 वर्ष की उम्र में वर्ष 1983 में अपने गांव में एक पीपल का पौधा लगाया जो आज विशाल रूप ले लिया है। हमने उसी दिन एक लाख पौधा लगाने का संकल्प लिया था।
पटना के अलावा कैमूर, आरा, बक्सर, जमुई, बांका, लखीसराय में पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया तथा सार्वजनिक स्थानों पर सैकड़ों की संख्या में पीपल, बरगद, जामुन आदि का पेड़ भी लगाए। वर्तमान में लखीसराय जिले में भी पर्यावरण भारती के बैनर तले सरकारी भवनों, सरकारी स्कूलों, किऊल नदी के किनारे छायादार पौधे लगाए जा रहे हैं। संघ के प्रचारक के रूप में उन्हें जहां भेजा गया, वहां उन्होंने संघ कार्य के अलावा काफी संख्या में पौधा लगाए। आज उनका पर्यावरण रक्षक के रूप में होता है। वे सिर्फ पौधा लगाकर छोड़ नहीं देते बल्कि उसका लगातार पालन पोषण करते हैं। लोगों को भी वे पौधा लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। किसी के घर में कोई शुभ कार्य हो रहा हो तो वे वहां पहुंचकर उनसे इस अवसर पर पौधा लगाने को कहते हैं।
जीवन की अंतिम सांस तक करता रहूंगा पौधरोपण
प्रकृति से प्रेम रखने वाले पर्यावरण प्रहरी रामविलास शांडिल्य कहते हैं कि हमने अपने जीवन में एक लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया है। इसमें 48,500 पौधा लगाया जा चुका है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक पीपल का पौधा लगाना चाहिए। यह जन्म दिन, शादी दिवस एवं अन्य अवसरों पर किया जा सकता है। लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। मेरे जीवन का लक्ष्य है प्रदूषण मुक्त भारत का निर्माण।