ऐसे ही नहीं कहते ढाक के तीन पात, इस पेड़ का हर हिस्सा गुणकारी, जानें इसकी विशेषताएं

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मेहरा एन्वायरमेंट एंड आर्ट फाउंडेशन चंडीगढ़ के संस्थापक एवं चेयरमैन कुलदीप मेहरा

पलाश (ढाक) चंडीगढ़ का राजकीय वृक्ष है। यह एक औषधीय पेड़ है जिसे ‘पलाश’ और ‘टेसू’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके पांचों भाग जड़ तना फल फूल और बीजों से आयुर्वेदिक औषधि बनाई जाती है।

चंडीगढ़,पलाश (ढाक) चंडीगढ़ का राजकीय वृक्ष है। यह एक औषधीय पेड़ है, जिसे ‘पलाश’ और ‘टेसू’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके पांचों भाग जड़, तना, फल, फूल और बीजों से आयुर्वेदिक औषधि बनाई जाती है। इस पेड़ से जुड़ा "ढाक के तीन पात" वाला मुहावरा भी काफी प्रचलित है। ढाक के पात यानी पत्ते एक साथ तीन के समूह में होते हैं। किसी भी टहनी पर न तो चार पत्ते होते हैं और न ही दो।

मेहरा एन्वायरमेंट एंड आर्ट फाउंडेशन चंडीगढ़ के संस्थापक एवं चेयरमैन कुलदीप मेहरा ने पलाश का पौधा रोपित करने के बाद यह जानकारी दी। कुलदीप ने कहा कि केवल एक दिन पांज जून को पर्यावरण दिवस मनाकर भूलना नहीं चाहिए। पेड़ों का संबंध सीधा सांसों से है। इसलिए, पूरे साल हर दिन को पर्यावरण दिवस समझते हुए पौधे लगाने चाहिए और इनकी देखभाल करनी चाहिए। पेड़-पौधे लगाकर, हर रोज घरों में बनने वाली सब्जियों फूलों-फलों के छिलकों से कृत्रिम खाद बनाकर, पेड़ पौधों के पत्तों से खाद बनाकर, कृत्रिम जंगल बनाकर साथ ही जंगलों को नया जीवन देकर, बारिश के पानी को छोटे छोटे डैम बनाकर संरक्षित करके और तालाबों के निर्माण करने से हम पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से रिस्टोर कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि कहीं न कहीं प्रकृति ने संपूर्ण मानव जाति को वैश्विक महामारी के माध्यम से स्वयं ही महसूस करवाया है कि "सांसें हो रही है कम, अब तो पेड़ लगाओ तुम"। आप इस महामारी से ही अंदाजा लगाइये और देखिये हमें धरती पर ऑक्सीजन की कितनी आवश्यकता है। इसलिए जितने अधिक पेड़-पौधे लगेंगे, हमें उतनी ही स्वच्छ एवं शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त होगी। मेहरा ने सुझाव दिया है कि सरकारें ऐसा क़ानून पारित करें जिसमें सभी नागरिकों को जीवन में एक पेड़ लगाना अनिवार्य हो। 

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