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अपराधियों को पकडऩा आसान है लेकिन अपराध की कमर तोडऩा मुश्किल होता है। शराब प्रकरण में पुलिस ने दोनों काम किए। सीबीआइ की तरह इस केस की जांच की। मुख्य आरोपितों को रिमांड पर लेकर माल बरामद कराया। आरोपितों की बात को क्रास चेक कर लिया गया
अलीगढ़। शराब प्रकरण में पुलिस ने दोनों काम किए। सीबीआइ की तरह इस केस की जांच की। मुख्य आरोपितों को रिमांड पर लेकर माल बरामद कराया। रिमांड का लाभ यह मिला कि आरोपितों की बात को क्रास चेक कर लिया गया। माफिया को गिरफ्तार करने के लिए गठित की गईं छह टीमों की कमान आइपीएस अफसर के हाथ में थी। हर टीम को काम बांट दिए थे, ये भी किसी केस में पहली बार देखने को मिला है।
लोगों में था जबर्दस्त आक्रोश
शराब से हुई मौतों को लेकर लोगों में जबर्दस्त आक्रोश था। आबकारी से लेकर पुलिस-प्रशासनिक अफसरों को लोग कठघरे में खड़ा कर रहे थे। हर किसी की जुबान पर एक ही बात थी कि अफसरों की मिलीभगत के बिना कुछ नहीं हो सकता। इसी के चलते शासन ने सात आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया। सीओ गभाना के अलावा लोधा, टप्पल, जवां और अकराबाद के थानेदार, दो दारोगा और आठ सिपाहियों को भी निलंबित किया गया। क्योंकि, इनके क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री हुई और फैक्ट्री पकड़ी गई। अब साख बचाने की बारी पुलिस की थी। एसएसपी कलानिथि नैथानी ने लखनऊ के अनुभव को यहां इस्तेमाल किया। उन्होंने आरोपितों को पकडऩे के लिए छह टीम गठित कीं। जिनकी कमान आइपीएस अफसरों के हाथ में दी। किस टीम को क्या करना है, ये भी तय कर दिया? इसके बाद तो नई पुलिसिंग ने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया।
पहले दिन से ही हाबी रही पुलिस
27 मई की रात से मौतों का सिलसिला शुरू हुआ। 28 मई को हाहाकार मच गई। पुलिस ने लोधा, जवां व गभाना थाने में मुकदमा दर्ज कर धरपकड़ शुरू कर दी। सबसे पहले मुख्य आरोपित अनिल चौधरी हत्थे चढ़ा। इसे 30 मई से एक जून तक रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। इसके बाद 50 हजार के इनामी विपिन यादव को दबोचा। इससे भी एक जून से तीन जून तक रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। मुनीश शर्मा को तीन दिन की रिमांड पर लिया गया। इससे पूछताछ के बाद ही पुलिस ने अकराबाद के गांव दभी में अवैध शराब की फैक्ट्री पकड़ी। शिवकुमार को भी तीन रिमांड पर लिया गया। आरोपितों को रिमांड पर लेकर पुलिस को पूछताछ के लिए इतना समय मिल गया कि आरोपित चकमा नहीं दे पाए। पूछताछ भी अलग-अलग चरणों में होती थी। हर टीम के अपने सवाल होते थे। इनके जाल में फंसकर ही माफिया सबकुछ उगलते चले गए। इनसे पूछताछ से ही ऋषि शर्मा के ठिकानों की जानकारी हुई।
किस टीम का क्या था काम
-पुलिस अधीक्षक नगर कुलदीप सिंह गुनावत को घटना में संलिप्त आरोपितों के विरूद्ध रासुका (एनएसए) की कार्रवाई सुनिश्चित कराना।
- पुलिस अधीक्षक देहात शुभम पटेल को गिरफ्तार किए गए आरोपितों से पूछताछ करना। सभी आरोपितों का डोजियर बनाने की जिम्मेदारी व फरार आरोपितों की गिरफ्तारी सुनिश्चित कराना ।
- पुलिस अधीक्षक यातायात सतीशचंद्र को विवेचना संबंधी कार्रवाई सुनिश्चित कराना। (बेल अपोजीशन की कार्रवाई)
- पुलिस अधीक्षक अपराध राजेश कुमार श्रीवास्तव को सभी आरोपितों के विरूद्ध गैंगस्टर/14(1) की कार्रवाई सुनिश्चित कराना (जब्तीकरण)।
- एसएसपी ने आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए भी पुलिस अधीक्षक नगर, देहात, अपराध के नेतृत्व में तीन टीम व तीन सहायक टीम भी गठित कीं।
शांत नहीं बैठेगी पुलिस, चार माह तक छोटी मछलियों की धरपकड़
पुलिस ने नौ दिन के अंदर ऋषि समेत कई बड़े माफियाओं को पकड़कर 90 फीसदी काम पूरा कर लिया है। अब गैंगस्टर, एनएसए और विवेचना के स्तर पर काम शुरू होगा। पुलिस की कार्रवाई अभी नहीं थमने वाली नहीं हैं। तीन-चार महीने तक छोटे माफियाओं की धरपकड़ जारी रहेगी। पुलिस का टारगेट है कि अलीगढ़ ही नहीं, आसपास के जिलों से भी शराब का नेटवर्क पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए।
तीन एसओजी भी आईं काम
एसएसपी ने कुछ दिनों पहले ही जिले में शहर और देहात के लिए अलग-अलग एसओजी का गठन किया है। शराब प्रकरण में इन दोनों एसओजी ने बेहतरीन काम किया है। देहात की टीम रोहित राठी, जबकि शहर की संदीप के नेतृत्व में काम कर रही है।
इनका कहना है
पुलिस के लिए आरोपितों को पकडऩा बड़ा चैलेंज था। पूरी टीम ने बखूबी इस पर काम किया। आरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ करना अहम रहा। सूचनाएं तो मिली हीं, माल भी बरामद हुआ। तीन-चार महीने कार्रवाई जारी रहेगी। आसपास के जिलों से भी अवैध शराब का नेटवर्क ध्वस्त करना है। अपराध की कमर तोडऩा ही लक्ष्य है।