बागेश्वर जिले के चीराबगड़ के 14 किसानों ने शुरू की पपीता खेती, सालभर में तीन सौ क्विंटल पपीता उत्पादन का लक्ष्य

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बागेश्वर जिले के चीराबगड़ के 14 किसानों ने शुरू की पपीता खेती

बागेश्वर जिले के चीराबगड़ के 14 किसानों ने पपीता खेती का निर्णय लिया है। एक एकड़ क्षेत्रफल में पौधारोपण कर दिया गया है। कलस्टर में खेती की जा रही है और सालाना आया लगभग छह लाख रुपये तक होने का अनुमान है

बागेश्वर, बागेश्वर जिले के चीराबगड़ के 14 किसानों ने पपीता खेती का निर्णय लिया है। एक एकड़ क्षेत्रफल में पौधारोपण कर दिया गया है। कलस्टर में खेती की जा रही है और सालाना आया लगभग छह लाख रुपये तक होने का अनुमान है। एक वर्ष के बाद यह लगभग 300 क्विंटल पपीता उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

कपकोट तहसील के चीराबगड़ गांव में जलागम परियोजना के माध्यम से किसानों को वैज्ञानिक खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। घाटे की परंपरागत खेती से हटकर किसान काम करने को आतुर हैं। एक एकत्र भूमि में पपीता का रोपण किया गया है। वर्तमान में 14 किसान पपीता की खेती कर रहे हैं। जबकि एक वर्ष के बाद खेती को बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया है। जिससे लगभग 200 किसानों को जोड़ने जाने का लक्ष्य है। जिला पंचायत सदस्य प्रभा गढ़िया ने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। जलागम के माध्यम से उत्पादन को बढ़ाया जा रहा है। पपीता उत्पादन यदि कपकोट में होगा तो निश्चित तौर से किसानों की आय बढ़ेगी। वर्तमान में हल्द्वानी से 80 से 100 रुपये किलोग्राम पपीता यहां पहुंच रहा है।

1.50 लाख रुपये से खेती शुरू

एक वर्ष में रोपित पपीता के पौधों से उत्पादन प्राप्त किया जाएगा। यहां रोपित पौधे मासिक उत्पादन देने वाली प्रजाति लेडी 786 ताइवान प्राजित की है। जिसमें एक वर्ष प्रति एकड़ 300 क्विंटल उत्पादन संभावित है। जिसका क्रय कम से कम 20 रुपये प्रति किलोग्राम मिलने पर छह लाख रुपये की सालाना आय प्राप्त होगी। 1.50 लाख रुपये का व्यय पौधारोपण आदि में किया गया है।

किसानों को दी जाएंगी तकनीकी जानकारियां

कृषि व्यवसाय सुधा के टीम लीडर नरेश बिनवाल ने बताया कि कृषकों को कलस्टर खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सोलर लिफ्टिंग पंप सरयू नदी में स्थापित किया गया है। जहां से पौधों की सिंचाई के लिए पानी लिफ्ट किया जाएगा। कृषकों को समय-समय पर तकनीकी जानकारियों के साथ आधुनिक कृषि उपकरण, खाद, बीज भी प्रदान किए जा रहे हैं। इस काम में कृषक, कृषि विशेषज्ञ रामरेख, आर्यन, विजय आदि सहयोग कर रहे हैं।

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